एमडी पद के लिए एक दूसरे के पर कतर रहे जल निगम के चीफ।।
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी: उत्तरांचल पेयजल संसाधन विकास एंव निर्माण विभाग इन दिनों गेंगवार की चेपेट।
सूत्रों की मानें तो राज्य भर में जल जीवन मिशन योजनाओं की जब वित्तीय हानि की कोई ठोस जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई तब एक दूसरे अधिकारियों व कर्मचारियों पर प्रक्रियात्मक कर्मियों को ढूंढा जा रहा है।
इसमें सबसे बड़ी चौंकाने वाले तथ्य तो यह भी है कि विभागीय मुख्यालय राजधानी देहरादून से गोपनीय जांच रिपोर्ट बीते महिनों से मीडिया की सुर्खियां बन रही है । जिससे विभाग की शाख पर बट्टा लग रहा है।
सूत्रों का दावा है कि विभागीय के एमडी पद की रेस में राज्य के चार चीफ में से एक सीनेयेर चीफ को एमडी की कुर्सी मिलनी है। जिसके पैर काटने के लिए उत्तराखंड में जल जीवन मिशन योजना में हुई प्रक्रियात्मक खामियों को ढूंढ कर गोपनीय जांच रिपोर्ट को वायरल करवा जा रहा है। इतना ही नहीं एक दूसरे के खिलाफ जांच बैठाई जा रही है।
विभागीय जानकारों की माने तो जल निगम के एमडी पद की लड़ाई राज्य भर के सभी डिवीजन में आ गई है।
वर्तमान समय में विभाग के पास विभागीय एम डी नहीं बल्कि बाहरी विभाग से रणवीर सिंह चौहान है।
वहीं राज्य के भर में चार चीफ है।
इन में सबसे सीनेर कुमाऊं मंडल के चीफ सुजीत विकास, दूसरे स्थान पर मुख्यालय चीफ संजय सिंह, तीसरे नम्बर पर गढ़वाल मंडल के चीफ अनुपम रतन, वहीं चौथे नम्बर पर निमार्ण यूनिट (सीएमडी) कपिल सिंह है।
कुछ जानकारों का कहना है कि एम डी पद को लेकर विभाग में इन दिनों शीत युद्ध चल रहा है।
गौरतलब है कि जून 1975 में यह विभाग उत्तर प्रदेश जल संभरण तथा सीवर व्यवस्था अधिनियम 1975 के अर्न्तगत “उत्तर प्रदेश जल निगम मे परिवर्तित किया गया। 7 नवम्बर 2002 की तिथि से उत्तरांचल क्षेत्र मे स्थापित उत्तर प्रदेश जल निगम के कार्यालयों को अंगीकरण करते हुये उत्तरांचल पेयजल संसाधन विकास एंव निर्माण निगम का गठन कर दिया गया था।
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उत्तरांचल पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण विभाग में कुछ शिकायतें मिली हैं। उनकी जांच सामने आई है जिनमें वित्तीय हानि नहीं हुई है। गोपनीय सूचनाएं मुख्यालय से लिंक होना ठीक नहीं इससे विभाग की छवि तो खराब होगी ही इसके साथ -साथ विभाग में अच्छा कार्य कर रहे अधिकारियों व कर्मचारियों का मनोबल भी गिरता है।
अनुपम रतन
चीफ गढ़वाल
उत्तरांचल पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम
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वा रे जल निगम पहले जांच अधिकारी की जांच बैठा दी ।।
पौड़ी की जुलेड़ी पंपिंग योजना की जांच
की आंच उत्तरकाशी तक।।
उत्तरकाशी । इस कहते हैं कि जिसकी चलती उसकी क्या गलती। जी हम बात कर रहे उत्तरांचल पेयजल निगम की
दरअसल पौंडी गढ़वाल के यमकेश्वर ब्लॉक के अंतर्गत बैरागढ़ गांव के समीप हेवल नदी के किनारे पेयजल निगम कोटद्वार की ओर से बनाई जा रही करीब 13 करोड़ की जुलेड़ी पंपिंग योजना मलबे में तब्दील हो गई थी।
इस में तत्कालीन गढ़वाल चीफ की बड़ी खामी नजर आ रही है।
जिसकी जांच पूर्व में उत्तरकाशी जल निगम के अधिशासी अभियंता रहे मोहम्मद मोसिन कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि इनको जांच अधिकारी से हटाने के लिए जांच की आंच विभागीय मुख्यालय देहरादून से उत्तरकाशी पहुंची। यानि जांच अधिकारी की ही जांच के निर्देश हुये है।
इस में सबसे बड़ा चौंकाने वाले तथ्य तो यह भी सामने आये है कि अधिकारी को नोटिस चार दिनों बाद जारी हो रहा और देहरादून विभाग मुख्यालय से समाचार पत्रों में समाचार पहले ही प्रकाशित हो जाता है कि अधिकारी को नोटिस जारी किया है। इससे साफ जाहिर होता है कि विभाग में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा और ।
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क्या कहते हैं जल निगम गढ़वाल के चीफ
उत्तरकाशी : जिले में जल जीवन मिशन योजना की जांच करने गढ़वाल चीफ अनुपम रतन पहुंचे हैं। बीते तीन दिनों से जनपद में उन योजनाओं की पड़ताल की जा रही जिनकी शिकायत मिली है।
विभाग के चीफ अनुपम रतन ने बताया कि उत्तरकाशी जल जीवन मिशन योजना की कुल 266 योजनाओं में से 206 योजनाओं का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इस लिहाज से उत्तरकाशी जनपद आज राज्य भर में अच्छी पौजीजेशन में है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में नई एवं पुरानी योजना को मिलाकर 63 योजनाओं में से अधिकांश योजनाओं में वन विभाग की स्वीकृती न मिलने के कारण अधर में लटकी है। वहीं 25 योजनाऐं ऐसी है जिनकी वन विभाग से स्वीकृत मिलने की कोई संभावना ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी जिले में जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत कुछ शिकायतें मिली हैं उनकी पड़ताल की कुछ योजनाओं में खामियां ज़रूर मिली है, लेकिन वित्तीय हानि नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कुछ खामियां मिलीं है उनको विभाग जल्द दूर करेगा। जिससे हर घर को जल मिलसके।