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गंगोत्री हाईवे नालूपानी में भूस्खलन से बंद, सड़क पर आ गिरा पूरा ‘पहाड़’
देर रात्रि तक लगी रही वाहनों की लंबी कतारें, नहीं खोल पाया हाईवे बीआरओ
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी: मानसून सीजन की अब विदाई होने जा रही लेकिन गंगोत्री हाईवे धरासू नालूपानी में भूधंसाव और भूस्खलन का दौर थमने का नाम नही ले रहा है। जिससे लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है।
सोमवार को दोपहर बाद ठीक चार बजे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग नालूपानी में भारी भूस्खलन से सड़क पर पूरा ‘पहाड़’ आ गिरा है जिससे हाईवे पर दोनों ओर से देर रात्रि तक वाहनों की लंबी कतारें लगी थी। लोगों को उम्मीद थी कि देर रात्रि तक हाईवे खुलेगी लेकिन देर रात्रि बीआरओ की मशीनों ने कार्य बंद कर दिया जिससे हाईवे खुलने के इंतजार में बैठे दर्जनों वाहन मायूस होकर वापस लौटें है।
इधर जिला परिचालन केंद्र उत्तरकाशी ने बताया कि बीआरओ की मशीनें दोनों तरफ से कार्य में जुटे है
मार्ग को खोलने में 3- 4 घंटे लगने की संभावना है ।
गौरतलब है कि इस बरसाती सीजन में दरकता गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग आपदा से बेहाल नजर आ रहा है। जगह-जगह भूधंसाव और भूस्खलन से गंगोत्री हाईवे पर आवागमन जोखिम भरा होने के साथ ही भागीरथी घाटी में भारी मुश्किल हालात का कारण बना है। खासकर आपदा के एक माह से अधिक समय के बाद भी धराली पहुंच से दूर है। इसके चलते गंगोत्री धाम की यात्रा भी ठप पड़ी है। नलूणा में पिछले बार बार मार्ग भारी भूस्खलन होने के कारण बंद रहा है। मानसून सीजन में गंगोत्री राजमार्ग पर भूस्खलन और भूधंसाव ने जमकर कहर बरपाया। हर्षिल-धराली में तेलगाड़ और खीर गंगा की बाढ़ भी हाईवे की बदहाली का कारण बना है।
इस बार धरासू से लेकर हर्षिल तक गंगोत्री हाईवे पर लैंडस्लाइड की ऐसी मार पड़ी कि अब तक भी स्थिति पटरी पर नहीं लौट सकी। डबरानी से लेकर सोनगाड़ के बीच बंद सड़क ने गंगोत्री हाईवे पर यातायात को सबसे अधिक प्रभावित रखा। गंगोत्री नेशनल हाईवे पर पर धरासू ,नालूपानी, रतूड़ीसेरा, बंदरकोट, नेताला, नलूणा, डबरानी, सोनगाड़ आदि सबसे संवेदनशील भूस्खलन प्रभावित जगह हैं। नालूपानी और नलूणा सबसे संवेदनशील है, जहां बिन बारिश भी पहाड़ी से मलबा गिरता रहता है। नलूणा में पिछले दिनों से भूस्खलन होने के कारण बार बार बंद हो रहा है। सड़क मार्ग के बंद होने से लोग परेशानी में है।
इतना ही नहीं बीआरओ ने भूस्खलन जोन क्षेत्रों में करोड़ों की लागत से विदेशी टेक्नोलॉजी से ट्रीटमेंट क्या था लेकिन वह ट्रीटमेंट सिर्फ दिखाओ बना और करोड़ों की धनराशि निर्मित सड़क भूस्खलन से तबाह हो गई है। इससे बीआरओ के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं।