भोटिया समुदाय ने लोसर मशाल जलाकर दीपावली के रूप में मनाया।
कीर्ति निधि सजवाण
डुंडा/उत्तरकाशी: भागीरथी के तट पर बसा एवं जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 15 किलोमीटर पहले डुंडा वीरपुर में जाड़ भोटिया समुदाय की मौजूदगी एक विशिष्ट संस्कृति का एहसास कराती है। खासतौर पर समुदाय के पारंपरिक लोसर पर्व पर उमंग और उल्लास का माहौल चरम पर रहता है।
संस्कृति और परंपराओं के प्रतीक इस लोक पर्व पर होली, दशहरा और दीपावली एक साथ मनाते हुए बौद्ध पचांग के अनुसार नव वर्ष का स्वागत किया जाता है। कुछ ऐसा ही पर्व वीरपुर, डुंडा व बगोरी में देखने को मिला। जहां रात को जाड़ भोटिया समुदाय के लोगों ने लोसर का पहल दिन दीपावली के रूप में मनाया।
बौद्ध पंचांग के अनुसार गुरुवार देर सायं को जाड़ भोटिया समुदाय के लोगों ने अपने -अपने घरों में पहले छिलके जलाये। इसके बाद सभी लोग छिलके लेकर मशाल के रूप में डुंडा बाजार से होते हुए गंगोत्री हाईवे पर स्थित एक चौराह पर एकत्रित हुए। जहां पर सभी ने छिलके विसर्जित किए और दुख रोग एवं अशांति को नष्ट करने की कामना की। ग्राम प्रधान वीरपुर सुनीता ने बताया कि बौद्ध पंचाग के अनुसार पारंपरिक लोसर पर्व का आगाज हो चुका है। गुरुवार को पहले दिन दीपावली मनाई गई। वहीं पर्व के दूसरे दिन दशहरा के रूप में मनाया जायेगा। जिसमें एक दूसरे को हरियाली वितरित कर नूतन वर्ष की शुभकामनाएं दी जायेगी।