धराली आपदा : पुनर्वास पैकेज पर फंसा है पेंच
रिपोर्ट में 115 परिवार प्रभावित को जांगला, लंका और कोपांग जैसे स्थानों पर पुनर्वास के लिए किया प्रस्तावित
उत्तरकाशी: धराली आपदा के प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर गठित पांडेय समिति की रिपोर्ट शासन को मिल चुकी है, लेकिन इस पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया जा सकता है। पुनर्वास में सबसे बड़ा पेंच यह है कि कुछ प्रभावित परिवारों की जमीन गंगोत्री हाईवे की जद में आने के कारण उन्हें पहले ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण मुआवजा बन चुका है। ऐसे परिवार के पुनर्वास के लिए कोई सर्वमान्य हल निकालना चुनौती बना हुआ है। हालांकि शासन का कहना है कि पुनर्वास पैकेज पर फैसला जल्द ले लिया जाएगा।
इस बार मानसून सीजन में धराली में आई आपदा में अभी भी 68 लोग लापता हैं जबकि 115 परिवार का विस्थापन होना है। विस्थापन व पुनर्वास की प्रक्रिया के लिए शासन ने सचिव राजस्व एसएन पांडेय की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमे टीका गठन किया था। यह समिति अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप चुकी है लेकिन लगभग एक माह का
आपदा से प्रभावित कई परिवार एनएच से पहले ही ले चुके हैं। मुआवजा निकटवर्ती लंका में पीड़ितों को बसाने में भी आ रही तकनीकी दिक्कतें आ सकती है।
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6 पुनर्वास पैकेज के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा जारी मुआवजे की राशि हासिल करने संबंधी कुछ पेंच जरूर हैं। लेकिन इस संबंध में जल्द ही उच्च स्तरीय बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में सभी समस्याओं का हल निकाल लिया जाएगा।
– महावीर चौहान अपर सचिव पुनर्वास
पेंच 1:-
सूत्रों का कहना है कि आपदा की जद में आए परिवारों में से एक दर्जन से अधिक परिवार ऐसे भी हैं जिनकी जमीन और आवास निर्माणाधीन गंगोत्री हाईवे की जद में आ चुके हैं। ऐसे परिवार को एनएचए द्वारा निर्धारित दर से मुआवजा पहले ही बना दिया गया है। वैधानिक रूप से यह जमीन अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की है और इस पर काबिज परिवारों को आपदा से हुए माली नुकसान की भरपाई नहीं किया जा सकता है। हालांकि धामी सरकार इस मुद्दे पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है। संभव है कि मानवीय आधार पर ऐसे परिवार को भी मुआवजा दिया जाए।
पेंच 2:-
पुनर्वास पैकेज का दूसरा पेंच मुआवजे की निर्धारित राशि को लेकर है। पांडेय समिति की सिफारिश में क्षतिग्रस्त मकान के बदले छह लाख रुपये नगद देने की सिफारिश है। यह राशि जोशीमठ पुनर्वास पैकेज से लगभग दो लाख अधिक है। इसी क्रम में होटल मालिकों के लिए अधिकतम 25 लाख रुपये का मुआवजा निर्धारित किया गया है। स्थानीय निवासी और होटल मालिक इस मुआवजे को नाकाफी बता रहे हैं। आपदा प्रबंधन विभाग के सूत्रों ने बताया कि प्रभावित परिवार निकटवर्ती लंका में खुद के पुनर्वास पर जोर दे रहे हैं। यहां पर सेना का बेस कैंप के साथ वन विभाग की जमीन भी है। सैन्य प्रतिष्ठान के इर्द गिर्द रिहायशी कॉलोनी बसाने में भी तकनीकी दिक्कत है। इन सब कारणों से पांडेय समिति की रिपोर्ट पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जा रहा है।
समय बीत जाने के बाद रिपोर्ट के आधार पर पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। वैसे तो रिपोर्ट में
जमीन के बदले जमीन और मकान के बदले धनराशि देने का प्रावधान किया गया है।
एक माह पूर्व समिति ने शासन को सौंप दी थी अपनी रिपोर्ट
पांच अगस्त को धराली आपदा के लिए गठित तीन सदस्यीय समिति ने शासन को अपनी रिपोर्ट सौंप चुके है। यह रिपोर्ट आपदा से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और स्थायी आजीविका के लिए ज्योर्तिमठ मॉडल के आधार पर सिफारिशें करती है। रिपोर्ट में प्रभावित परिवारों को राहत पैकेज, “घर के बदले घर” और “भूमि के बदले भूमि” देने जैसे सुझाव शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 115 परिवार प्रभावित हुए थे और जांगला, लंका और कोपांग जैसे स्थानों को पुनर्वास के लिए प्रस्तावित किया गया है।



