राजा परीक्षित की कथा सुन भाव विभोर हुए श्रद्धालु!
मेहनत से कमाया पवित्र धन घर लेकर आए, सुख मिलेगा : डॉ. श्यामसुंदर पाराशर !
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी 24, अप्रैल। रामलीला मैदान उत्तरकाशी में चल रही अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत कथा में गुरुवार को परीक्षित संवाद का वर्णन किया गया। तीतृय दिवस पर वृंदावन से आए भागवत मर्मज्ञ डॉ. श्यामसुंदर पाराशर महाराज ने द्वापर युग समाप्त होने और कलयुग के शुभारंभ की कथा सुनाई। प्रसंग पर बताया कि राजा परीक्षित को मिले मुनि से श्राप और फिर श्राप से मुक्ति के लिए उनके भाई शुकदेव से मिलने की कथा सुनाई। कथा वाचक ने कहा कि कथा से व्यथा दूर होती है। प्रसंग को विस्तार देते हुए कहा कि सात दिन बाद होने वाली मृत्यु के श्राप से राजा परीक्षित ¨चतित हो उठे। संत विद्वान शुकदेव से वह मिलने जा पहुंचे। जिस पर शुकदेव ने उन्हें भागवत कथा का श्रवण करने की सलाह दी।
उन्होंने परीक्षित से कहा कि वह दुनिया से विरक्त होकर अपना मन और ध्यान भक्ति में लगाएं तभी उनका कल्याण हो सकता है। विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से उन्होंने राजा परीक्षित को समझाया। कथा के मध्य में कथावाचक ने मधुर भजन भी सुनाए। जिसे सुनकर भक्तगण आनंदित हो उठे। इस दौरान उन्होंने कहा कि बिना परिश्रम के आया धन व्यर्थ नष्ट हो जाता है। घर में कलह क्लेश होता है और
मेहनत से कमाया धन ही आपके लिए पवित्र है। इस पवित्र धन को घर लाने से ही आपको बरकत होगी। अनैतिक तरीके से कमाया धन खराब है। यह घर को खराब कर देता है।
भागवत मर्मज्ञ डॉ. श्यामसुंदर पाराशर ने मातृ शक्ति से आह्वान करते हुए कहा कलयुगी बुराइयों से बच्चों को बचाने के लिए माताओं को वीर शिवाजी और ध्रुव की तरह माताओं को गर्भ में ही बच्चों को संस्कारवान बनाने का काम करना चाहिए।
इस अवसर पर अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महामंत्री रामगोपाल पैन्यूली, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, आंनद प्रकाश भट्ट तथा यजमान के रूप में डॉ. एस डी सकलानी, अरविन्द कुडि़याल, डॉ. प्रेम पोखरियाल, गोविंद सिंह राणा, विनोद कंडियाल, राजेन्द्र सेमवाल, महादेव गगाडी़, कुमारी दिव्या फगवाड़ा, दिनेश गौड़, इंजिनियर जगबीर सिंह राणा, सुदेश कुकरेती, प्रेम सिंह चौहान, रामकृष्ण नौटियाल, राजेन्द्र पंवार, विद्या दत्त नौटियाल, सम्पूर्णा नंद सेमवाल सहित समिति के पदाधिकारी जगमोहन सिंह चौहान, नत्थी सिंह रावत, प्रथम सिंह वर्तवाल, प्रमोद सिंह कंडियाल, राजेन्द्र सिंह रावत, शंभू प्रसाद, , चंद्र शेखर, अनिता राणा, अर्चना रतूड़ी, ममता मिश्रा, ऊषा जोशी एवं अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत महापुराण में 108 भागवताचार्य मूल पारायण कर रहे हैं जिनमें रामचंद्र व्यास, शक्ति प्रसाद सेमवाल,लक्ष्मी प्रसाद चमोली, कृष्णानंद खंडूड़ी, ज्योति प्रसाद उनियाल, सुनील दत्त, माधव नौटियाल, ब्रह्मानंद उनियाल, सुरेश चंद्र भट्ट, सुरेश शास्त्री , सुरेश सेमवाल
सहित 108 आचार्य व्यास पीठ विराजमान हैं। कथा पांडाल में सैकड़ों देवडोलियों सहित सैकड़ों श्रोताओं द्वारा कथा का रसपान कर रहे हैं।