21 साल बाद फिर डराने लगा वरूणावत पर्वत, उत्तरकाशी शहर पर मंडराने लगा भूस्खलन का खतरा ।।
उत्तरकाशी: वरुणावत पर्वत से आवासीय कॉलोनी के निकट गिरे बोल्डर, मची अफरातफरी।।
घटना के बाद डीएम सहित आलाधिकारियों पहुंचे आपदा परिचालन केंद्र।।
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी 28, अगस्त। वर्ष 2003 के बाद 21 साल बाद एक पुनः वरूणावत पर्वत उत्तरकाशी शहर वासियों को डराने लगा है।
वरुणावत पर्वत से मंगलवार देर रात्रि गौफियारा जल संस्थान के ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण कालोनी वाले हिस्से में भारी बोल्डर गिरने से अफरातफरी मच गई। बोल्डर बस्ती निकट तक पहुंचने से लोग भयभीत होकर अपने घरों से बाहर निकल गये।
घटना की भनक सबसे पहले सामने तिलोथ से लोगों ने हल्ला मचाया जिससे गहरी नींद में सोये लोग अपने घरों से बाहर निकले।
उधर जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह जिलाधिकारी जनपद आपातकालीन परिचालन केंद्र में पहुंचते हुए भूस्खलन से प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने एवं अन्य व्यवस्थाएं करने हेतु दिशा निर्देश संबंधित अधिकारीयों एवं कर्मचारियों को दिये हैं
जिलाधिकारी ने देर रात्रि भूस्खलन क्षेत्र से संबंधित समीक्षा जिला स्तरीय अधिकारियों के साथ की जा रही है। उधर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, राजस्व विभाग की टीम ने मौके पर पहुंच कर लोगों को अलर्ट और सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी।
मंगलवार को पौने पांच बजे सायं से भारी बारिश हो रही थी रात्रि 11 बजे बारिश के बीच वरुणावत पर्वत के गौफियारा जल संस्थान के ऊपर पहाड़ी से पत्थर गिरने के कारण भूस्खलन सक्रिय हो गया। पहाड़ी से गिरे भारी बोल्डर बस्ती निकट पहुंचे जिससे गोफियारा , गंगोत्री हाईवे कलेक्ट्रेट कॉलोनी तक भगदड़ मच गई। हालांकि समाचार लिखे जाने तक किसी भी भवन व जान-माल क्षतिग्रस्त की सूचना नहीं है ।
मंगलवार शाम को मौसम के करवट बदलते ही जिला मुख्यालय में बारिश शुरू हो गई। इससे शहर की आंतरिक सड़के सहित गगोत्री हाईवे पर जगह-जगह जलभराव हो गया। वहीं, ज्ञानसू क्षेत्र के
तीन बड़े गाड़-गदेरे भी उफान पर आ गए। पाडुली गाड़ के उफान पर आने से गाड़ में जमा कूड़ा-कचरा गंगोत्री हाईवे पर फैल गया। वहीं, गाड़ में पानी बढ़ने से आसपास
के लोग डरे हुए हैं। क्षेत्र के अनिल सिंह ने बताया कि गाड़ में पानी की मात्रा बढ़ती जा रही है, जो कि अब हाईवे पर फैल रहा है। वहीं,
ज्ञानसू गाड़ और मैणा गाड़ भी उफान पर आ गए हैं। हालांकि ज्ञानसू गाड़ में कुछ दिनों पूर्व प्रशासन की ओर से पानी के बहाव के लिए मलबा हटाया गया था।
इससे पानी हाईवे पर नहीं आ रहा है। लेकिन खतरे की आशंका बनी हुई, जिसके चलते लोग पानी के बहाव पर नजर बनाए हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि वरुणावत पर्वत पर वर्ष 2003 में भूस्खलन हुआ था । स्थानीय निवासियों का कहना है कि भूस्खलन ने 2003 में एक बड़े भूस्खलन ने क्षेत्र में लगभग 100 इमारतों को आंशिक रूप से या पूरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था और अन्य 100 को खतरे में घोषित किया गया था।
इस दौरान अपर जिलाधिकारी रजा अब्बास, पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी,उपजिलाधिकारी वृजेश तिवारी, उपजिलाधिकारी डुंडा नवाज़िश खलीक आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेन्द्र पटवाल , मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ बी एस रावत, प्रमुख अधीक्षक डॉक्टर पी एस पोखरियाल,जीडी प्रसाद उप निदेशक भूतत्व एवं खनिकर्म , अधिशासी अभियंता प्रांतीय खंड, सहित विभागीय आला अधिकारी जिला आपदा परिचालन केंद्र पहुंचे और घटना पर पूरी जानकारी जुटाने के साथ लोगों को सुरक्षित स्थानों पर रहने की सलाह दी है।