चिरंजीव सेमवाल
“पिछले कई वर्षों से उत्तरकाशी जिले में अब वन तस्करों की धरपकड़ नहीं हो रही मानों वन तस्करों ने ईमानदारी का चौला ओढ़ा लिया होगा या वन विभाग के अफसरों को सांप सूंघ गया होगा!
उत्तरकाशी: उत्तरकाशी जिले में वन तस्करों के ऊपर वन विभाग के अधिकारियों की छत्त छाया है जिससे यहां जमकर वन तस्करी हो रही है।
आलम यहां है कि जिले में तेंदुऐ की खालें और तमाम वन उपजों की जमकर तस्करी हो रही, लेकिन ऐसा नहीं कि वन विभाग के अफसरों को मालूम नहीं होगा । सूत्रों की माने तो विभाग के चेक पोस्ट से लेकर ओफसर तक की जेम गर्म हो रही जिससे करोड़ों की वन संपदा को तस्कर ले उठा रहे हैं।
गौरतलब है कि आज से ठीक 12-14 वर्ष पूर्व जब उत्तरकाशी पुलिस अधीक्षक सदानंत दाते थे उस दौरान जिले में एक दर्जन तेंदुआ की खालों के साथ तस्करों की गिरफ्तार किया गया था । बीते आठ वर्ष से ये सब धरपकड़ बंद हो गई ऐसा लग रहा मानों ” उत्तरकाशी जिले के तस्करों ने अब ईमानदारी का चोला ओढ़ लिया या यहां के जिम्मेवार विभागों को सांप सूंघ गया”। हद तो तब हो गई कि वन विभाग ने वन तस्करों तो छोड़ो एक चूहा तक नहीं पकड़ पायें। गत सप्ताह पुलिस ने तेंदुआ का तस्करों एवं लाखों की काजल-काठ की लकड़ी के साथ कई तस्करों को गिरफ्तार कर सलाखों के पिछे पहुंचा दिया है। लेकिन वन विभाग कुंभकर्ण की नींद में साया है।
खबर है कि जिले के विभिन्न बीटो क्षेत्र में इमारती पेड़ों की अवैध कटाई जोरों पर है। सालों से हो रही अवैध कटाई पर वन विभाग का मौन रहना आश्चर्यजनक है। एक तरफ वन्य जीव की तस्करी हो रही वहीं दूसरी और लकड़ी तस्कर इमारती लकड़ी विशेषकर देवदार की लकड़ी की अवैध कटाई कर उसे चोरी छुपे फर्नीचर बनाकर नेताओं को और ठेकेदारों को बेचने में निरंतर बेखौफ लगे हैं।
यह भी सही हैं कि अवैध कटाई से लेकर फर्नीचर के निर्माण व बिक्री का पूरा कार्य खुलेआम चल रहा है। फिर भी वन विभाग के अधिकारियों का आंख मूंदकर बैठना या यूं कहें कि टांग पर टांग डाले सो रहे हैं जो साबित करता है कि जंगलों की अवैध कटाई वन विभाग की सरपरस्ती पर खुलेआम चल रही है। जिससे तस्कर मोटरसाइकिल से लेकर फोर व्हीलर पर रातों रात इमारती लकड़ी नेताओं से लेकर ठेकेदारों तक पहुंच रही है।
सूत्र तो ये भी बताते हैं कि अधिकारी से लेकर और रेंजर से लेकर कर्मचारी तक लकड़ी का पैसा मुंह मांगा जा रहा है। जंगलों के संरक्षण संवर्धन और वनों की सुरक्षा के लिए केंद्र व राज्य सरकार प्रतिवर्ष क्षेत्र में करोड़ों रुपए खर्च कर रही है किंतु पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाने में वन विभाग पूरी तरह असफल रहा है या यूं कहें कि वन विभाग अवैध कटाई व वन तस्करों के संरक्षण को लेकर कार्य कर रहा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
सूत्रों कहाना तो यहां भी है कि यदि उत्तरकाशी के डीएफओ, रेंजरों की संपत्ति की जांच की जाये तो इन की काली कमाई के करोड़ों के होटल रेस्टोरेंट मिलेंगे।
इसकी बानगी अभी कुछ दिनों पहले देहरादून में देखने को मिले जब पूर्व में उत्तरकाशी के यमुना वन प्रभाग बड़कोट एवं उत्तरकाशी के डीएफओ रहे सुशांत पटनायक की अकूत संपत्ति देखकर ईडी के ऑफिसर भी हैरान रह गये थे।