विश्व सद्भावना धाम डांग उत्तरकाशी में धूमधाम से मनाई गई गुरू पूर्णिमा ।।

By sarutalsandesh.com Jul 21, 2024

गुरु के माध्यम से ही संभव है परमात्मा की प्राप्ति : डॉ दुर्गेश आचार्य महाराज

विश्व सद्भावना धाम डांग उत्तरकाशी में धूमधाम से मनाई गई गुरू पूर्णिमा ।।

  चिरंजीव सेमवाल

 उत्तरकाशी। डॉ  दुर्गेश आचार्य महाराज जी के आश्रम ऊं विश्व शांति सद्भावना धाम  रोड डांग उत्तरकाशी में गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया ।
इस दौरान डॉ दुर्गेश आचार्य महाराज ने कहा कि बिना गुरु का परमात्मा की प्राप्ति संभव नहीं है। गुरु के द्वारा ही परमात्मा की प्राप्ति संभव है। अत: जीवन में गुरु होना अतिआवश्यक है और सधे हुए गुरु मिल जाएं तो फिर क्या कहना है। साक्षात नारायण का दर्शन है। उन्होंने कहा कि परमात्मा प्राप्ति के लिए पढ़ें लिखे भी ज़रूर नहीं चाहिए उन्होंने गोपियां का उदाहरण देते हुए कहा कि गोपियां पढ़ी-लिखी नहीं थी लेकिन उन्होंने अपने जीवन को भगवान को समर्पित कर दिया था। इस लिए ईश्वर प्राप्ति के लिए न धन की जरूरत है न पढ़ें लिखे की इसके लिए तो श्रद्धा, भक्ती, समर्पण चाहिए। महाराज ने कहा कि 24 घंटे में से 24 मिनट  (एक घड़ी ) सांय- सुबह पूजा पाठ के लिए निकलना चाहिए।
इस शुभ अवसर पर उत्तरकाशी के विभिन्न गांव से व उत्तराखंड के विभिन्न जनपदों व अन्य राज्यों के श्रद्धालुओं ने उत्तरकाशी में आकर गुरु पूर्णिमा महोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया।
डॉक्टर दुर्गेश आचार्य महाराज जी ने आये हुए श्रद्धालुओं को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं देते हुए गुरु की महिमा का वर्णन किया और  भक्तों के द्वारा भंडारे का आयोजन किया गया।  वहीं  पंडित शिव प्रकाश मिश्रा ने बताया कि यहां पर नये लोगों ने गुरु दीक्षा ले और चार बच्चों ने  गंगा विश्व  शांति सद्भावना धाम में योग्य  पवित्र संस्कार लिए और भक्तों ने भजन कीर्तन कर गुरु के दर्शन कर गुरु जी को जन्म दिन की शुभकामनाएं दी।

भारतीय संस्कृति में गुरु को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। गुरु के बिना अज्ञानता के अंधकार को दूर कर पाना अंसभव माना गया है। हिंदू धर्म में हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन स्नान-दान और उपवास के कार्य शुभ फलदायी माने गए हैं। इस दिन लोग गुरुओं का आशीर्वाद लेने उनके पास जाते हैं। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का आदर-सम्मान करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। इस दिन गुरु मंत्र लेने की भी परंपरा है।

इस मौके पर डी एस नाथ , किशोर सेमवाल, शिव प्रकाश मिश्रा, सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे हैं।

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क्यों खास हैं गुरु पूर्णिमा का पर्व?

सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता वेदव्यास जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि वेदव्यास को जगत का प्रथम गुरु माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णुजी के रूप हैं। वेदों में गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वरूप बताया गया है। गुरु के साथ ही माता-पिता को भी गुरु के तुल्य मानकर उनसे सीख लेना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए। मान्यता है कि गुरु के आशीर्वाद से जीवन को खुशहाल और सफल बनाया जा सकता है। गुरु पूर्णिमा गुरु और शिष्य के पवित्र संबंध का प्रतीक है। इस दिन शिष्य को अपने गुरु के प्रति अभार व्यक्त करना चाहिए। यह विशेष पर्व गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए है।

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