उपला सेरांई लाल धान के पौधे में लगी अज्ञात बिमारी, किसान चिंतित
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी : रवांई के पुरोला क्षेत्र का मशहूर लाल धान (चरदान) के कुछ पौधों की पत्तियां अज्ञात बिमारी से लाल होकर गिर जा रही हैं। इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। किसानों को समझ में नहीं आ रहा है कि ऐसे मौसम में जबकि बरसात भी ठीक हो रही है तो दवा का प्रयोग करें या ना करें।
सेरांई के पोरा गांव में लाल धान की पौधौं सुख रहे हैं। गांव के पूर्व प्रधान सुदामा बिजल्वाण ने बताया कि लाल धान की पौधौं सुख रहे ।
इधर मुख्य कृषि अधिकारी उत्तरकाशी एस एस वर्मा ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा अभी तक कोई सूचना नहीं मिली उन्होंने बताया कि तत्काल कृषि विभाग अपनी टीम भेज रहे हैं। उन्होंने बताया कि धान की फसल में लाल रंग की बीमारी, जिसे आमतौर पर “लाल पत्ती रोग” या “बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट” (BLB) कहा जाता है, फंगल संक्रमण या पोषक तत्वों की कमी के कारण हो सकती है। यह रोग धान के पौधों की पत्तियों पर लाल या भूरे रंग के धब्बे पैदा करता है, जिससे पत्तियां सूख जाती हैं और उपज कम हो सकती है। उन्होंने बताया कि टीम के द्वारा जांच करने के बाद ही स्थिति का पता लगेगा।
गौरतलब है कि सेरांई लाल धान का कटोरा कहा जाता है बीते दिनों पुरोला के कमल और रामा सेरांई में धान की रोपाई हुई है। पुरोला के करीब 2000 हेक्टेयर क्षेत्र में लाल धान की खेती होती है।
बताया दे कि पौष्टिकता से भरपूर लाल धान आयरन प्रोटीन एंटी ऑक्सीडेंट की होती है। पुरोला के प्रचुर मात्रा चरदान की खेती करने वाले चंदेली के गोविन्द राम नौटियाल,नेत्री गांव के केंद्र सिंह, बलवंत सिंह, गुंदियाट गांव से नीलकंठ नौटियाल, दिनेश नौटियाल, रौन गांव से शिव प्रसाद बिजल्वाण, पूर्व प्रधान दिनेश बिजल्वाण , परिपूर्णानंद बिजल्वाण आदि ने बताया कि यह अनाज सदियों से पारंपरिक जैविक तरीके से उगाए जाता है।



