गंगा का मायका यमुना का घर ,खाली गागर हैं सुखे नल!
इस बार भी पानी को तरसना पड़ेगा बड़कोट पालिका वासियों को।।
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी। गंगा यमुना के मायके पानी की किल्लत होना अजीब लगता है लेकिन सिस्टम के बेरूखी के चलते यमुना नदी किनारे बसे नगर पालिका बड़कोट नगरवासियों को बूंद- बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। गर्मी बढ़ने व चारधाम यात्रा सीजन शुरू होने से पहले ही पेयजल संकट गहराता जा रहा है, लेकिन यमुना नदी से बड़कोट तक प्रस्तावित पंपिंग योजना सर्वे से आगे नहीं बढ़ पाई है।
इधर जल निगम के अधिशासी अभियंता मधुकांत कोटियाल बताया कि बड़कोट पंपिंग योजना का 72.16 करोड़ का इस्टीमेट शासन भेजा गया है उसे स्वीकृत मिलने में समय लगेगा।
म उन्होंने बताया कि योजना का सर्वे व भूमि का प्रतिकर दे दिया गया है।
चारधाम यात्रा के मुख्य पड़ाव बड़कोट में गर्मी की शुरूआत के साथ कई परिवारों को पीने का पानी नसीब नहीं है। आलम यहां कि नगरवासी बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं।
गौरतलब है कि नगरपालिका परिषद बड़कोट में पेयजल किल्लत से निजात पाने के वर्ष 2018 में जल निगम ने यमुना नदी के तिलाड़ी तोक से बड़कोट तक पंपिंग योजना का सर्वे किया था। इसमें भूमि का प्रतिकर भी बांट दिया गया, लेकिन पंपिंग पेयजल योजना धरातल पर नहीं उत्तरी।
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बड़कोट पेयजल पंपिंग योजना को जल्द स्वीकृत नहीं मिली तो होगा जन आंदोलन: बिजल्वाण!
उत्तरकाशी 26, अप्रैल। बीते सात वषों से यमुना नदी से बड़कोट तक प्रस्तावित पंपिंग योजना सर्वे से आगे न बढ़ने से जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने हैरानी जताई। शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष श्री बिजल्वाण ने शासन -प्रशासन को अल्टीमेट दिया है कि यदि बड़कोट नगरपालिका क्षेत्र कि पेयजल पंपिंग योजना जल्द स्वीकृत नहीं मिली तो जन आंदोलन शुरू किया जायेगा।
जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि चार धाम का मुख्य पड़ाव एवं बढ़ती गर्मीयों में जिस प्रकार से कई वर्षों से पालिका परिषद बड़कोट में पानी की किल्लत से लोग जूझ रहे हैं। कमजोर नेतृत्व व सिस्टम की नाकामी दर्शाता है।
उन्होंने जनप्रतिनिधियों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि नेता सिर्फ चमचागिरी और अपने धंधे चलाने के लिए नहीं चुने जाते हैं बल्कि जनता के ज्वलंत समस्याओं के लिए चुने जाते हैं । उन्होंने चिन्यालीसौड़ नगरपालिका का उदाहरण देते हुए बताया है कि चिन्यालीसौड में भी पेयजल की ऐसी समस्या थी जहां जिला योजना से पेयजल योजना स्वीकृत करवा कर बीते वर्षों में पूर्ण कर दी गई थी।