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हंसती खेलती “धराली”  मलवे की ढेर के में हुई तब्दील 

By sarutalsandesh.com Sep 5, 2025

धराली त्रासदी का एक माह पूरा,  मलबे में दबे अपनों को तलाश को बेताब परिजन

चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी:  उत्तरकाशी जनपद के धराली भीषण त्रासदी के आज एक महिना हो गया । पांच अगस्त को दिन के 1:25  बजे खीर गंगा में मलबे और पानी के रूप में ऐसा सैलाब आया, जिसने पलक झपकते ही हंसते खेलते धराली बाजार और आधे गांव को मलबे के ढेर में बदल दिया।
करीब 20 से 25 फीट मलबे में कई बहुमंजिला इमारतें जमींदोज हो गईं, जिसमें लगभग 62 लोग दब गए। इनमें से 8 लोग धराली गांव के ही थे। वहीं हर्षिल में तेलगाड में आई एक और आपदा में सेना के 9 जवान लापता हो गए थे। आज भी  परिजन पतथराई आंखों से खीरगंगा की तेज लहरों  अपनों की एक झलक पाने को बेताब है।
हालात इस कदर है कि जिस धराली में इन दिनों सेब के बाजार सजने लगता और चार धाम यात्रा की चाकचौबंद दिखाई देती थी। वह धराली आज  मलवे की ढेर के ऊपर खामोश है।
एक माह पूर्व खीर गंगा में आई भीषण आपदा के बाद धराली में हालात जस के तस बने हुए हैं। चारों तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा दिखाई दे रहा है, जो उस विनाशकारी पल की याद दिलाता है। आपदा के आने के 5 दिन बाद प्रशासन द्वारा कड़ी मशक्कत के बाद धराली और हर्षिल क्षेत्र में बिजली और नेटवर्क बहाल हो पाया। इसके बाद हेलीकॉप्टर के माध्यम से रसद सामग्री पहुंचाने का काम शुरू किया गया। लगभग 20 दिन बाद गंगोत्री हाईवे पर छोटे वाहनों की आवाजाही शुरू होने पर ही रसद सामग्री सड़क मार्ग से हर्षिल घाटी तक पहुंच सकी। एक माह बीत जाने के बाद भी धराली के ग्रामीणों की दिनचर्या में कोई बदलाव नहीं आया है। वहीं हर्षिल ,बगोरी, मुखवा अभी भी सड़क से कटे हैं और गांगोत्री धाम में सन्नाटा पसरा हुआ है।  गंगोत्री हाईवे धरासू से हर्षिल तक आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर बार बार बंद और खुलने का सिलसिला जारी जिससे उपला टकनोर  में इंडियन रसोई गैस  की सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है।

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धराली आपदा पीड़ितों के लिए  पूर्व सीएम ने  भी सरकार को दिए सुझाव

आपदा में दबे शवों को निकालने के लिए बड़ी मशीनों हो एयरलिफ्ट : हरदा ।।

उत्तरकाशी : बीते दिनों उत्तरकाशी पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस दिग्गज नेता हरीश रावत ने धराली आपदा पीड़ित परिवारों को शीघ्र राहत के लिए सरकार और प्रशासन को सुझाव दिया था ।

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि सरकार को धराली
आपदा में दबे शवों को निकालने के लिए बड़ी से बड़ी मशीनों  की एयरलिफ्ट कर  प्रभावित क्षेत्र में भेजने की आवश्यकता पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि आपदा में दबे शवों को जल्द बाहर निकल ने चाहिए जिससे परिजन क्रिया कर्म कर सके।
उन्होंने आपदा पीड़ितों
कृषि एवं होटल-होम स्टे संचालकों ने ऋण लिया होगा सरकार को तत्काल ऋण को माफ करने और लोगों के रोजगार को पुनः स्थापित करने के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने की सिफारिश की गई।

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धराली आपदा मुख्यमंत्री धामी ने स्वयं संभाला था मोर्चा..

उत्तरकाशी:धराली आपदा में सीएम धामी की :  प्रशासनिक क्षमता के साथ राजनीतिक नेतृत्व के रूप में मजबूत  छवि गढ़ी है ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी  ने धराली हर्षिल में पांच अगस्त को खीरगंगा में आई भिषण त्रासदी के बाद  आंध्र प्रदेश का कार्यक्रम रद्द कर तत्काल सक्रियता दिखाते हुए ग्राउंड जीरो पर उतरकर कर मोर्चा संभाला।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने  पीड़ितों को सांत्वना दी और राहत कार्यों में तेजी आई है। मुख्यमंत्री ने आपदा राहत कार्यों के लिए एक माह का वेतन देने की घोषणा भी की। उनकी तत्परता ने प्रशासन और राहत एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने में मदद की।

पांच अगस्त को खीरगंगा में आई भिषण जल प्रलय से तबाह धराली की सिसकियां भी मलबे में रुंध गईं। आपदा से कराहते क्षेत्र से  गंगोत्री हाईवे, बिजली, संचार, पानी  का नाता भी टूट गया था। भागीरथी घाटी का यह भूभाग कातर निगाहों में राहत और बचाव की उम्मीदें संजोए रहा, तब उसे हमदर्द और हौसले, दोनों की सख्त जरूरत थी।
ऐसी विकट घड़ी में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस दर्द को समझा भी और बगैर समय गंवाए दो दिन ग्राउंड जीरो पर मोर्चा संभाला। तुरंत सक्रिय और निर्णय लेकर धामी ने प्रशासनिक क्षमता के साथ प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व के रूप में मजबूत छवि गढ़ी है।
सरकार का मुखिया स्वयं आपदाग्रस्त क्षेत्र में डटा हो तो मशीनरी के लिए भी राहत और बचाव कार्यों में ढिलाई बरतना संभव नहीं हो पाता। देहरादून से लेकर उत्तरकाशी तक पूरा तंत्र सक्रिय रहा।
आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मुख्यमंत्री धामी सबसे पहले पहुंचे तो पीड़ित भी अपने बीच उन्हें पाकर लिपटे, कंधे पर सिर रखा और बिलखने लगे। सांत्वना और विश्वास के रूप में धामी उनके बीच थे।

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सीएम की उपस्थिति से एजेंसियों में बेहतर समन्वय

राहत को मिशन बनाकर मुख्यमंत्री तीन दिनों तक  ग्राउंड जीरो पर रहे हैं। राहत और बचाव कार्यों को युद्ध स्तर पर संचालित करने के साथ-साथ वह पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। हर स्तर पर व्यवस्था पर भी मुख्यमंत्री की नजर  रही ये ही वजह रही कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में रसद, कनेक्टिविटी तेजी से सुचारू हुईं है।
शासन के वरिष्ठ अधिकारी देहरादून स्थित राज्य आपदा परिचालन केंद्र के माध्यम से मुख्यमंत्री के साथ ही राहत व बचाव दलों के संपर्क में लगातार बने हुए हैं।

सड़क संपर्क और पुल से कटे होने के कारण हेली सेवाओं ने राहत व बचाव कार्यों को गति देने में भूमिका निभाई। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना, आइटीबीपी व अन्य केंद्र व राज्य की एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय में मुख्यमंत्री की उपस्थिति का प्रभाव साफ दिखाई दिया है। उनके नेतृत्व में बचाव कार्यों के लिए संसाधनों के एकत्रीकरण ने भी गति पकड़ी।

सेना का मिल रहा प्रदेश सरकार को भरपूर सहयोग

इस पूरे आपरेशन में भारतीय वायुसेना के 2 चिनूक, 2 एमआई-17, चार अन्य हेलीकाप्टर, राज्य सरकार के आठ हेलीकाप्टर, एक आर्मी एएलएच और दो चीता हेलीकाप्टर संचालित हो रहे हैं। इस कारण प्रभावितों तक राहत तेजी से पहुंच रही है।

जमीनी स्तर पर राजपुताना राइफल्स के 150 जवान, घातक टीम के 12 कमांडो, एनडीआरएफ के 69, एसडीआरएफ के 50 जवान, चार मेडिकल टीमें, 9 फायर टीमें, 130 आईटीबीपी के जवान, और बीआरओ के 15 कर्मियों समेत कुल 479 अधिकारी-कर्मचारी दिन-रात तैनात हैं। इसके अलावा 814 अतिरिक्त जवानों को अन्य क्षेत्रों से सीधे प्रभावित क्षेत्र में तैनात किया गया है।

बंद सड़कें खोलने, बिजली-पानी की सुचारु आपूर्ति को प्राथमिकता

मुख्यमंत्री ने गंभीर घायलों को तत्काल एयरलिफ्ट कर देहरादून या एम्स ऋषिकेश भेजने को कहा। राहत शिविरों में भोजन, पानी, दवाइयों और अन्य आवश्यकताओं की कमी न हो, इस पर स्वयं नजर रखे हैं।

प्रभावितों के लिए 2000 से अधिक फूड पैकेट भेजे गए। ड्राइ राशन हवाई मार्ग से हर्षिल पहुंचाया जा रहा है, जहां से उसे दूरस्थ गांवों तक पहुंचाया जाएगा। बंद सड़कों को खोलने, इंटरनेट सेवा की बहाली, और बिजली, पेयजल की टूटी लाइन को भी जोड़ा जा रहा है।

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ज्योर्तिमठ मॉडल की तर्ज पर होगा धराली आपदा पीड़ितों का पुनर्वास

उत्तरकाशी। जिले के धराली गांव में खीरगंगा से पांच अगस्त को  आई भीषण  त्रासदी  से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और स्थायी आजीविका के लिए  मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। समिति के सदस्य आपदा प्रभावित धराली- हर्षल का स्थलीय निरीक्षण कर पीड़ितों से मुलाकात कर उनके पक्ष को सुना था।

धराली आपदा में 115 परिवार प्रभावित
खीरगंगा से आए सैलाब ने होटल, होमस्टे, सेब के बागवान  पर भर में मलबे  की ढेर में समा गया है। समिति ने अपने आकलन में बताया कि इस आपदा से कुल 115 परिवार प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर सचिव राजस्व डॉ. सुरेंद्र नारायण पांडेय की अध्यक्षता में यह तीन सदस्यीय समिति गठित किया गया थ। इसमें यूकाडा के सीईओ डॉ. आशीष चौहान और अपर सचिव वित्त हिमांशु खुराना सदस्य के रूप में शामिल हैं।

इसके तहत पुनर्वास स्थल पर अधिकतम 100 वर्ग मीटर तक घर बनाने की अनुमति और 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में डुप्लेक्स भवन निर्माण का प्रावधान रखा गया था।
प्रभावितों से लिए गए सुझाव

धराली के प्रभावित परिवारों, जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों से भी समिति ने सुझाव लिए हैं। प्रभावितों ने पुनर्वास के लिए जांगला, लंका और कोपांग क्षेत्रों का का सुझाव दिया है ‌।

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•5 अगस्त धराली हर्षिल आपदा,एक न भूलने वाला दिन 
   उत्तरकाशी: पहाड़ में इस बार बारिश ने भारी कहर भरपाया है। विशेषकर जनपद उत्तरकाशी में आम जनजीवन इससे बहुत प्रभावित हुआ है। धराली -हर्षिल शांत,सुरम्य सीमांत गांव में उस सुबह कोई नहीं जानता था कि दिन ढलने तक सब कुछ बदल जाएगा। कुछ ही पलों में उफनती खीरगंगा, तेलगाड़ ने अपना रौद्र रूप दिखाया। होटल,घर,खेत,बागान सब मलबे में समा गए। इस आपदा में हमने अपनो को खोया है,देश के वीर सैनिकों को खोया है। आपदा से व्यवसाय,बागवानी,खेती,रोजगार पर बुरा असर पड़ा है। सरकारी गैर सरकारी सम्पत्तियां क्षतिग्रस्त हुई है। जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग हो चाहे ग्रामीण सड़क मार्ग जगह-जगह भूस्खलन होने से सड़क मार्ग क्षतिग्रस्त/ध्वस्त हुए है। 
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   जब सब कुछ ध्वस्त हो रहा था,तब भी उम्मीद बची रही।
 धराली- हर्षिल,  यमुना वैली 
 में  आई भीषण त्रासदी के दौरान जिससे पर कार से जिले के डीएम  प्रशांत आर्य के नेतृत्व में प्रशासन की पूरी टीम ने जो तत्परता और साहस दिखाया वह अपने आप में एक मिसाल पेश की है। जहां रास्ते नहीं थे वहां रास्ते बनाए गए। जहां मनुष्य नहीं पहुंच सकता था वहां ड्रोन और तकनीक ने हाथ बढ़ाया। राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर किए गए। हैली के माध्यम से यात्रियों एवं स्थानीय लोगों का रेस्क्यू किया गया। राहत सामाग्रियों,रोजमर्रा की वस्तुओं को हैली के माध्यम से प्रभावित गांव समेत सीमांत के अन्य गांवों तक पहुंचाया गया। आपदा से क्षतिग्रस्त/ध्वस्त गंगोत्री नेशनल हाइवे के धराली,हर्षिल,सोंनगाड़,डबरानी, लिमचियागाड़,भटवाड़ी,नलुणा,नालूपानी,धरासू सड़क मार्ग की बहाली हो चाहे स्यानाचट्टी यमुना नदी में बनी झील खोलने का कार्य हो सभी कार्य युद्ध स्तर पर किए गए। भागीरथी के एक किनारे से दूसरे किनारे तक ओएफसी तार पहुंचाना हो या जंगलचट्टी में बिजली की आपूर्ति बहाल करना हो हर काम युद्ध स्तर पर किया गया। नलुणा में जब भारी भूस्खलन ने संचार की रीढ़ तोड़ दी तब आधुनिक तकनीक ने वह काम किया जो किसी समय असंभव लगता था। वर्तमान समय में भी जिले में अवरुद्ध हो रही सड़क मार्ग को सुचारू करने का कार्य हो चाहे स्यानाचट्टी में यमुना नदी से मलबा हटाने और चेनेलाइजेशन कार्य हो बदस्तूर जारी है।

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