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राज्य निर्वाचन आयोग को हाईकोर्ट  से नहीं मिली राहत।।

By sarutalsandesh.com Jul 14, 2025

हाई कोर्ट नैनीताल से बड़ी खबर : त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर बड़ी खबर।। उत्तरकाशी/चिरंजीव सेमवाल 

 

राज्य निर्वाचन आयोग को हाईकोर्ट  से नहीं मिली राहत।।

उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर हाईकोर्ट नैनीताल का सख्त रुख , दो जगह वोटर लिस्ट में नाम होने पर नहीं लड़ सकेंगे चुनाव।।
आयोग को राहत नहीं मिली, अगली कार्रवाई कोर्ट के निर्देश पर निर्भर।

हाईकोर्ट ने फिर कहा पंचायतीराज एक्ट के मुताबिक चुनाव कराए आयोग।।

– 11 जुलाई के आदेश के खिलाफ चुनाव आयोग ने हाईस्कूल में फाइल की थी रिव्यू पिटिशन।।

–  हाईकोर्ट ने दो जगह वोटर होने वाले लोगों के नामांकन को नहीं माना था सही।।

अब राज्य निर्वाचन आयोग के पास दो विकल्प हाईकोर्ट के  आदेश को या तो सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगा या आदेश का पालन करना पड़ेगा।।

 

–  हाईकोर्ट के आदेश से एक बार फिर मची खलबली।।

– हाईकोर्ट ने नहीं लगाई है चुनाव पर कोई रोक।।

– हाईकोर्ट ने साफ किया कोई भी पीड़ित शिकायत होने पर चुनाव के बाद दाखिल कर सकता है इलेक्शन पिटिशन।।

 

 

दो मतदाता सूची को लेकर मचा बवाल: सरकार ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका

सरकार ने  हाईकोर्ट  के 11 जुलाई के आदेश पर  याचिका दायर कर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में दो मतदाता सूचियों में नाम के मामले में राय मांगी है। मामले की सुनवाई आज सोमवार को हुई है।
सरकार ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर कर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में मतदाता सूची में स्थानीय नगर निकाय और ग्राम पंचायत, दोनों मतदाता सूचियों में नाम दर्ज वाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने की अनुमति न दिए जाने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने अथवा वर्तमान चुनाव में ऐसे प्रत्याशियों के संबंध में क्या निर्णय लिया जाए इस पर राय मांगी है। मामले की सुनवाई आज सोमवार को हुई।
बता दें कि शुक्रवार को हाईकोर्ट ने निर्णय दे कर राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देश पर रोक लगाते हुए कहा था कि दो मतदाता सूचियों में नाम वाले प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से यह भी कहा था कि पंचायत चुनाव की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो जाने के कारण वह चुनाव में हस्तक्षेप नहीं कर रहा है लेकिन निर्णय में ऐसा अलग से उल्लेख नहीं था। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंदर व न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई थी।

शक्ति सिंह बर्त्वाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार को छोड़कर राज्य के 12 जिलों में पंचायत चुनाव लड़ रहे कुछ प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय व पंचायत दोनों की मतदाता सूचियों में हैं जिनमें रिटर्निंग अधिकारियों ने अलग-अलग निर्णय लिए हैं इससे कहीं तो प्रत्याशियों के नामांकन रद्द हो गए हैं जबकि कहीं उनके नामांकन स्वीकृत हो गशए हैं। याचिका में कहा था कि देश के किसी भी राज्य में दो अलग मतदाता सूचियों में नाम होना आपराधिक माना जाता है। याचिका में उत्तराखंड में इस प्रथा पर सवाल उठाया गया था। याची ने पंचायती राज अधिनियम की धारा 9 की उप धारा 6 व 7 का समुचित पालन न होने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर की थी। कोर्ट के निर्णय की वादी और सरकार के अधिवक्ताओं ने अलग व्याख्या की थी, जिससे संशय हो रहा था।

हाईकोर्ट ने वर्तमान में गतिमान चुनाव प्रक्रिया पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया है अतः इन चुनावों पर इस आदेश का असर नहीं पड़ेगा। भविष्य के चुनावों से यह प्रभावी होगा। आदेश की प्रति मिलने के बाद आयोग इसके विधिक पहलुओं पर विचार करेगा। जबकि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी का कहना था कि कोर्ट के आदेश के बाद दो मतदाता सूचियों में दर्ज नाम वाले प्रत्याशी चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए हैं। इसके अनुरूप कार्यवाही न करना न्यायलय की अवमानना होगा। आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि शनिवार और रविवार के अवकाश के चलते ऑनलइन आवेदन कर हाईकोर्ट से मामले में स्टे वेकेट करने अथवा स्पष्ट निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था। न्यायिक रजिस्ट्रार के माध्यम से मामला मेंशन भी किया गया जिस पर सोमवार को कोर्ट में सुनवाई निर्धारित की गई है।

हाईकोर्ट ने सोमवार को स्पष्ट किया कि पंचायत चुनाव की प्रक्रिया पर कोई रोक नहीं लगाई गई है, बल्कि केवल चुनाव आयोग के 6 जुलाई को जारी सर्कुलर पर स्थगन आदेश दिया गया है। आयोग ने अपने सर्कुलर में कहा था कि जिन मतदाताओं के नाम ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में हैं, उन्हें मतदान करने या चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाए। पंचायती राज अधिनियम की धारा 9(6) व 9(7) के अनुसार, यदि किसी मतदाता का नाम शहरी और ग्रामीण दोनों मतदाता सूचियों में दर्ज है, तो वह पंचायत चुनाव में मतदान करने या चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य होगा। इसी आधार पर कोर्ट ने 11 जुलाई को आयोग के सर्कुलर पर रोक लगा दी थी।

इधर चुनाव आयोग ने हाईकोर्ट में एक प्रार्थना पत्र दायर कर 11 जुलाई के आदेश में संशोधन (मॉडिफिकेशन) की मांग की। आयोग ने कहा कि उक्त आदेश से पंचायत चुनाव की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है और अब तक के चरणों में भारी संसाधन व्यय हो चुका है। इस मामले को लेकर सोमवार को आयोग ने चुनाव चिन्ह वितरण की प्रक्रिया पर दोपहर दो बजे तक रोक लगा दी। सभी जिलाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए।

गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में दोहरी मतदाता सूची (शहरी और ग्रामीण) वाले मतदाताओं के मतदान और चुनाव लड़ने से संबंधित विवाद में स्पष्ट आदेश देने से इनकार कर दिया है। चुनाव आयोग द्वारा दायर प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए, कोर्ट ने मौखिक रूप से यह स्पष्ट किया कि उसने चुनाव प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है, बल्कि केवल चुनाव आयोग द्वारा 6 जुलाई को जारी सर्कुलर पर रोक लगाई है.
मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने कहा कि 11 जुलाई को जारी आदेश उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार है और आयोग स्वयं पंचायत राज अधिनियम के पालन के लिए जिम्मेदार है।
चुनाव आयोग ने मांगा था ‘मॉडिफिकेशन’
उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने रविवार को हाईकोर्ट के समक्ष प्रार्थना पत्र देकर 11 जुलाई के आदेश से चुनाव प्रक्रिया बाधित होने की बात कही थी और आदेश को ‘मॉडिफाई’ करने की मांग की थी. आयोग ने तर्क दिया था कि चुनाव प्रक्रिया में अब तक काफी संसाधन व्यय हो चुके हैं. इस प्रार्थना पत्र के आधार पर, आयोग ने सोमवार, 14 जुलाई को अपराह्न 2 बजे तक चुनाव चिन्हों के आवंटन पर रोक लगा दी थी।

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