हर चुनौती से निपटने में सक्षम है आईटीबीपी
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी : 12वीं बटालियन आई०टी०बी०पी० मातली उत्तरकाशी के हिमवीरों ने अपना 39 वाँ स्थापना दिवस बडे़ ही उत्साह पूर्वक मनाया।
कार्यक्रम का शुभारंभ सुसज्जित परेड के साथ हुआ जिसकी कमान रोहित शुक्ला सहायक कमांडेंट द्वारा संभाली हुई। इस दौरान सचिन कुमार कमांडेंट बटालियन के समस्त अधिकारीगण, अधीनस्थ अधिकारीगण, हिमवीरों व उनके परिवारजनों को 12वीं बटालियन के स्थापना दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
इस दौरान कमांडेंट बटालियन सचिन कुमार कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि आज ही के दिन 29 जुलाई 1987 को बल के पुर्नगठन के पश्चात् 12वीं बटालियन की स्थापना हुई थी। अपनी स्थापना के पश्चात् 12वीं बटालियन के द्वारा शौर्य, दृढता एवं कर्मनिष्ठा के साथ अपनी ड्यूटियों का निर्वहन किया है। उन्होंने बटालियन के पदाधिकारियों को भविष्य में भी अपने कार्य को कुशलता से करने के लिए तत्पर रहने का आह्वान किया तथा आश्वस्त किया कि 12वीं बटालियन इसी तरह से बल को अपनी निष्ठा पूर्ण सेवाएं देती रहेगी।
स्थापना दिवस समारोह में बटालियन के पदाधिकारियों, हावा सदस्याओं, बच्चों तथा भूतपूर्व सैनिकों के लिए मीना बाजार, विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार से सम्मानित किया ।
वहीं अग्रिम चौकियों पर भारत-चीन बॉर्डर पर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस
सीमा की चौकसी में डटे हिमवीरों ने 10 से 15 हजार फीट पर स्थित नीला पानी , पीडीए,सोनम, जादुंग, नेलांग कुपाग अग्रिम चौकी में तिरंगा फहराया व एक-दूसरे को मिठाई बांटी ।
गौरतलब है कि भारत-चीन बॉर्डर पर भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) यूं तो दुश्मन की हर गतिविधि पर बाज की तरह पैनी निगाह रखती है, लेकिन देश की अन्य फोर्स के मुकाबले इनका जज्बा और चुनौतियां कहीं ज्यादा हैं। दरअसल हिमालय की चोटियों पर जहां के जिक्र मात्र से ही आमजन के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, वहां आईटीबीपी के हिम वीर जान की परवाह न करते हुए देश की रक्षा में दिन-रात मुस्तैद हैं।
इस अवसर पर डॉ० सरबजीत सिंह सी०एम०ओ/एस०, श लेखराज राणा उप०कमा०, मनोज कुमार सहा०कमां, हेमंत चतुर्वेदी सहा०कमां, सेवानिवृत पदाधिकारियों से बच्चन सिंह नेगी उप.कमा, जयपाल सिंह सहा०कमां, कृपाल सिंह सहा. कमां, एस.एस कुंद्रा निरीक्षक, बटालियन के समस्त पदाधिकारी तथा हावा सदस्याएं उपस्थित रहीं।
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क्या है आईटीबीपी का इतिहास
आईटीबीपी का गठन 24 अक्टूबर,
1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद गोरिल्ला रेंज के जवानों से किया गया था, जिससे कि भारत-तिब्बत सीमा पर दुश्मन का हर प्रकार से सामना किया जा सकें। इससे हम अपने देश की सीमा को सुरक्षित रख सकते थे। शुरुआत में 1962-63 में इसकी चार वाहिनियां थीं, लेकिन बाद में जरूरत के साथ बटालियन और जवानों की संख्या बल को बढ़ाया जाने लगा। विशेषकर कारगिल युद्ध के बाद ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स की बैठक में सभी सुरक्षा बलों को लेकर मंथन हुआ था।
उस समय वन बॉर्डर-वन फोर्स पॉलिसी के तहत भारत-चीन बॉर्डर काकाकोरम से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जाचेप ला तक तक आईटीबीपी को जिम्मा सौंप दिया गया था। आज भारत-चीन सीमा की सुरक्षा का पूरा जिम्मा आईटीबीपी के ऊपर है, जिसमें पांच राज्यों की अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर हमारी फोर्स तैनात है। इनमें जम्मू-कश्मीर व लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं।