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उत्तरकाशी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया इगास लोक पर्व

By sarutalsandesh.com Nov 1, 2025

डीएम और जिला पंचायत अध्यक्ष ने भैलो जलाकर मनाया इगास बग्वाल

एकजुटता और सांस्कृतिक चेतना का पर्व है इगास पर्व : प्रशांत आर्य

चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी: उत्तरकाशी में दीपावली की की तरह इगास पर्व में विभिन्न संस्कृति की झलक देखने को मिली है।
रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जिलाधिकारी प्रशांत आर्य, जिला पंचायत अध्यक्ष रमेश चौहान, मुख्य विकास अधिकारी जय भारत सिंह, अपर जिलाधिकारी मुक्त मिश्रा, पालिकाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौहान ने ईगास पर्व की सभी जनपद वासियों को शुभकामनाएं प्रेषित की है।
इगास पर्व पर उत्तराखंड की समृद्ध लोक संस्कृति झलकी है। शनिवार देर सायं मुख्य सभी ने मिलकर रामलीला मैदान में जिलाधिकारी उत्तरकाशी प्रशांत आर्य, जिला पंचायत अध्यक्ष रमेश चौहान, पालिकाध्यक्ष भूपेंद्र चौहान, पालिकाध्यक्ष सभासदों आदि ने
भैलो से खेलना विजय-दीप जलाने की परंपरा से जुड़ा है। लोकगीत, नृत्य और भैलो रे भैलो जैसे गीत आज भी घर- घर गूंजते हैं।
जनपद में पहली बार मनाई गई इगास बग्वाल का लोगों में खाश उत्साह दिखाई दिया। इस दौरान महिलाओं ने ढोल की थाप पर पारंपरिक परिधान पहनकर राशो नृत्य किया है।
इस दौरान जिलाधिकारी जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने सभी जनपदवासियों को इगास पर्व की बधाई देते हुए कहा कि इगास हमारी गौरवशाली संस्कृति, परंपरा और आस्था का प्रतीक है। आज जब आधुनिकता के दौर में हमारी परंपराएँ कहीं न कहीं पीछे छूटती जा रही हैं, ऐसे में इगास हमें अपनी जड़ों की याद दिलाता है और नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक पहचान से जोड़ता है।

बता दें कि उत्तराखंड की दीपावली एक दो दिन नहीं, बल्कि महीने भर चलती है। सालों से चली आ रही ये परंपरा उत्तराखंड की दीपावली को खास बनाती है।
उत्तराखंड में कार्तिक अमावस्या पर दीपावली का उत्सव केवल एक दिन का नहीं, बल्कि पहाड़ की संस्कृति ने इसे समय और परंपरा के अनुरूप कई रंग दिए हैं। प्रदेशभर में इस दीपावली को कहीं इगास बग्वाल तो कहीं मंगसीर दीपावली या बूढ़ी दीपावली के नाम से मनाया जाता है। ये पर्व दीपावली से 11वें और एक महीने बाद भी मनाया जाता है। इस पर्व के पीछे गहरी लोकमान्यताएं हैं, जो सैकड़ों सालों से पहाड़ की सामाजिक और धार्मिक जीवनशैली का हिस्सा है। देवभूमि की इस धरती पर दीपावली न सिर्फ घरों में दीपक से रोशन करने से जुड़ा है, बल्कि यह सामूहिक उल्लास, लोकसंगीत, कृषि जीवन और पशुपालन की परंपरा का प्रतीक भी है।
कार्यक्रम में युवा कल्याण अधिकारी विजय प्रताप भंडारी, एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी, बाल विकास अधिकारी यशोदा बिष्ट आदि मौजूद रहे है।

 

 

 

 

 

 

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