वायुसेना के फाइटर विमानों की तेज गड़गड़ाहट से थर्रा उठा चीन सीमा ।।
फाइटर प्लेन की गर्जना से गूंजा आसमान, तेज गड़गड़ाहट सुन अचंभित हुए लोग।।
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी 08 अप्रैल : उत्तराखंड से लेकर चढ़ी गढ़ तक आसमान में फाइटर प्लेन की गर्जना सुनाई दी। एकाएक तेज गड़गड़ाहट से आसमान गूंज उठा। दूनवासियों के लिये यह अपनी तरह का पहला अनुभव था और इसे लेकर तमाम तरह की अटकलें लगती रहीं। बहरहाल इसे वायुसेना की रुटीन एक्सरसाइज़ बताया जा रहा है।
धमाकों की आवाज की खबर को लेकर देहरादून जिला प्रशासन के पास कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी की जा रही है। हालांकि, यह धमाके जमीन पर नहीं हुए हैं। माना जा रहा है कि यह उत्तरकाशी में चल रहे वायु सेना के अभियान में उड़ने वाले विमान या मिसाइल की “सुपर सोनिक बूम “की आवाज हो सकती है।
जब कोई मिसाइल बहुत कम ऊंचाई पर फायर होती है तो उससे ऐसी आवाज संभव है। फिलहाल पुलिस कप्तान वायु सेना के अधिकारियों से भी संपर्क कर रहे हैं। ऐसी ही आवाजे पंजाब और हिमाचल के कुछ इलाकों में भी सुनाई दी हैं।
लड़ाकू विमानों की गर्जना से गूंजा आसमान, कौतूहल के साथ टकटकी लगाए देखते रहे लोग भारतीय वायुसेना की ओर से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर एक से 10 अप्रैल तक रात-दिन का अभ्यास किया जा रहा है। सोमवार को देहरादून से लेकर चढ़ी गढ़ तक आसमान में हुई तेज गर्जना हुई।
इस पूर्व उत्तरकाशी एवं राजधानी देहरादून में बीते बुधवार रात्रि को आसमान में तेज गर्जना ने सभी को डरा दिया था। सभी कौतूहल के साथ आसमान की ओर टकटकी लगाए रहे। बाद में मालूम हुआ कि यह गर्जना वायुसेना के लड़ाकू विमानों की थी, जो कि सीमांत क्षेत्र में रात्रि अभ्यास के लिए पहुंचे हैं।
बता दें कि भारतीय वायुसेना की ओर से सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर एक से 10 अप्रैल तक रात-दिन का अभ्यास कियावत जा रहा है। यहां वायुसेना की कम्युनिकेशन टीम भी पहुंच चुकी है।
हालांकि, अभी वायुसेना के एमआई 17 व एएलएच हेलीकॉप्टर यहां अभ्यास के लिए नहीं पहुंचे। हवाई अड्डे के रनवे का विस्तारीकरण ना होने से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर लड़ाकू विमानों की लैंडिंग अभी नहीं हो पाती है। इस कारण यहां आसमान में ही लड़ाकू विमान अभ्यास के लिए पहुंचते हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, वायुसेना ने राजस्थान से अपने दस हजार कार्मिकों के साथ लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों से पश्चिमी व उत्तरी मोर्चे पर अभ्यास शुरू किया है। इसी के तहत बीते बुधवार रात को यहां वायुसेना के कुछ लड़ाकू विमानों ने रात्रि अभ्यास किया था। जिसकी तेज गर्जना से उत्तरकाशी का आसमान गूंज उठा था।
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भारतीय वायुसेना का 10 अप्रैल तक चलेगा गगन शक्ति अभ्यास..।।
एएन 32 विमान से 20 जवानों ने पैराशूट से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर की सफल लैंडिंग।।
उत्तरकाशी 08, अप्रैल। भारतीय वायुसेना का चिन्यालीसौड़ स्थिति हवाई अड्डे पर गगन शक्ति सैन्य अभ्यास चल रहा जो 10 अप्रैल तक चलेगा। 18000 फीट की ऊंचाई पर से एएन 32 विमान से 20 जवानों ने पैराशूट से चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर लैंडिंग की।
चिन्यालीसौड़ हवाई अड्डे पर वायुसेना ने रविवार और सोमवार को गगन शक्ति के तहत हवाई सैन्य अभ्यास किया। वायुसेना के मालवाहक 2 विमानों ने एएन 32 ने रनवे पर लैंडिंग व टेकऑफ किया। बताया दें कि मालवाहक विमान आगरा एयरबेस से दो एनएन 32 विमानों ने आसमान में करीब एक घंटे तक अभ्यास किया।
इधर वायुसेना सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 7 से 10 अप्रैल तक गगन शक्ति हवाई सैन्य अभ्यास किया जा रहा है। वायुसेना के लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर राजस्थान के पोखरण से पश्चिमी व उत्तरी सीमा क्षेत्र में अभ्यास के लिए पहुंचे हैं।
वही वायुसेना के गोरखपुर एयरबेस से दो एमआई 17 हेलिकॉप्टर भी हेलीपैड पर पहुंचे हैं। रविवार को दोनों एमआई 17 हेलिकॉप्टरों ने साढ़े नौ बजे टिहरी की ओर उड़ान भरी। वहीं, आगरा एयरबेस से पहुंचे एएन 32 विमान ने सुबह साढ़े आठ और साढ़े 10 बजे दोबारा आसमान में अभ्यास किया।
एमआई 17 हेलीकॉप्टरों ने उत्तरकाशी होते हुए चीन सीमा से सटे हर्षिल तक की उड़ान भरी। इसके बाद दोनों हेलीकॉप्टर गौचर चमोली की ओर रवाना हो गए। बाद में दोनों एएन 32 विमान आगरा एयरबेस लौट गए।जबकि, एमआई 17 हेलीकॉप्टर हवाई अड्डे पर ही मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि अभी 10 अप्रैल तक यह अभ्यास जारी रहेगा।
उल्लेखनीय है भारतीय वायु सेना (एआईएफ) देश का सबसे बड़ा हवाई सैन्य अभ्यास ‘गगन शक्ति-2024’ का आयोजन करने जा रही है। 10 दिवसीय ‘गगन शक्ति-2024’ युद्धाभ्यास में देश के सभी वायु सेना स्टेशन की भागीदारी होगी।
1 अप्रैल 2024 से पोखरण स्थित फील्ड फायरिंग रेंज में इस युद्धाभ्यास का आयोजन किया जाएगा। 10 दिवसीय इस युद्धाभ्यास में वायु सेना के करीब 10 हजार वायु सैनिक भाग लेंगे। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार इसमें पश्चिमी और उत्तरी दोनों मोर्चों को शामिल किया जाएगा।