वेदों का पका हुआ फल है श्रीमद्भागवत : डॉ . श्याम सुंदर पाराशर जी!!
दो अक्षरों का राम नाम सहस्रनाम के बराबर :डॉ . श्याम सुंदर पाराशर जी!!
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी 24, अप्रैल। प्रख्यात कथा वक्ता डॉ .श्याम सुंदर पाराशर ने कहा कि श्रीमद्भागवत वेदों का पका हुआ फल है। इसका रसपान बार- बार करना चाहिए। यह भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग का संदेश देने वाली है। इसमें हरि कथा है, हरि वे हैं जो भक्तों के पापों का हरण कर लेते हैं।
उत्तरकाशी रामलीला मैदान में आयोजित अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत पुराण कथा के दूसरे दिन प्रख्यात कथा कार डॉ. पाराशर जी ने सैकड़ों भक्तों को कथा का रसपान कराते हुऐ कहा कि जिस प्रकार से गंगा जी गोमुख से निकल कर पहाड़ों से टकराने के बजाय एवं अपना समय गंवाए दाएं- बाएं से आगे निकल कर गंगासागर पहुंचकर अपना लक्ष्य प्राप्त करती है उसी प्रकार से मनुष्य को भी संसार के प्रपंचों को छोड़ कर अपने लक्ष्य (ईश्वर ) की प्राप्ति का लक्ष्य प्राप्त करना चाहिए।
कथा वक्ता डॉ. पाराशर जी ने कहा कि दो अक्षरों का राम नाम सहस्रनाम नामों के बराबर है।
सहस्रनाम में स्पष्ट लिखा है कि राम नाम के दो
ग्रंथों में लिखा गया है कि माता पार्वती ने जब भगवान शिव से पूछा कि भगवान विष्णु के सहस्रनामों का जाप किस उपाय से किया जा सकता है तो भगवान शिव ने कहा कि सिर्फ राम नाम का जाप ही भगवान विष्णु के हजार नामों के बराबर है। मैं स्वयं दिन-रात इसी को मन ही मन जपता हूं।
कथा वक्ता डॉ. श्याम सुंदर पाराशर जी ने श्रीकृष्ण के बाराबर दयालु कोई नहीं है। भगवान कोई न कोई गुण ढूंढ ही लेते हैं। इस लिए श्रीमद्भागवत पुराण में लिखा है ।
“अहो बकी यं स्तनकालकूटं
जिघांसयापाययदप्यसाध्वी।
लेभे गतिं धात्र्युचितां ततोऽन्यं
कंवा दयालुं शरणं व्रजेम”।।
अर्थात्:- पाणिनी पूतना राक्षसी का उद्देश्य था भगवान को उस कालकूट विष से मारने का, लेकिन फिर भी वह परम दयालु कन्हैया ने उस पूतना राक्षसी के उस बुरे स्वभाव पर ध्यान नहीं दिए, कितने दयालु हैं कृष्ण की उन्होंने विचार किया कि इसने काम तो माता जैसा हि किया है। इसीलिए इसको भी माता की गति देनी चाहिए और जो मैया यशोदा को बाद में मिलनी थी वह दिव्य गति आज भगवान श्री कृष्ण ने पूतना को पहले ही प्रदान कर दी।
तो ऐसे हैं भगवान श्री कृष्ण जिनकी दयालुता का वर्णन करना असंभव है , क्योंकि वह भगवान श्री कृष्ण अकारण करुणा वरूणालय हैं , बिना कारण करुणा करने वाले हैं – दया करने वाले हैं, दया वत्सल भगवान हैं, तो उस परम दयालु कन्हैया को छोड़कर हम किसकी शरण ग्रहण करें ।
इस अवसर पर अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महामंत्री रामगोपाल पैन्यूली, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, आंनद प्रकाश भट्ट तथा यजमान के रूप में डॉ. एस डी सकलानी, अरविन्द कुडि़याल, डॉ. प्रेम पोखरियाल, गोविंद सिंह राणा, विनोद कंडियाल, राजेन्द्र सेमवाल, महादेव गगाडी़, कुमारी दिव्या फगवाड़ा, दिनेश गौड़, इंजिनियर जगबीर सिंह राणा, भूदेव कुडि़याल, सुदेश कुकरेती, प्रेम सिंह चौहान, रामकृष्ण नौटियाल, राजेन्द्र पंवार, विद्या दत्त नौटियाल, सम्पूर्णा नंद सेमवाल सहित समिति के पदाधिकारी जगमोहन सिंह चौहान, नत्थी सिंह रावत, प्रथम सिंह वर्तवाल, प्रमोद सिंह कंडियाल, राजेन्द्र सिंह रावत, शंभू प्रसाद, , चंद्र शेखर, अनिता राणा, अर्चना रतूड़ी, ममता मिश्रा, ऊषा जोशी एवं अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत महापुराण में 108 भागवताचार्य मूल पारायण कर रहे हैं जिनमें रामचंद्र व्यास, शक्ति प्रसाद सेमवाल,लक्ष्मी प्रसाद चमोली, कृष्णानंद खंडूड़ी, ज्योति प्रसाद उनियाल, सुनील दत्त, माधव नौटियाल, ब्रह्मानंद उनियाल, सुरेश चंद्र भट्ट, नरेश भट्ट, चन्द्रशेखर नौटियाल, दुर्गेश खंडूड़ी,आशुतोष भट्ट, शिवप्रसाद, हरीश नौटियाल, भीमदेव थपलियाल, रामनरेश, डॉ. पंकज सेमवाल, उमाशंकर भट्ट, द्वारिका प्रसाद, सुरेश चंद्र उनियाल, राजेंद्र प्रसाद, कृष्णानंद नौटियाल, दिनेश भट्ट,अरविंद उनियाल, सुरेश शास्त्री , सुरेश सेमवाल
सहित 108 आचार्य व्यास पीठ विराजमान हैं। कथा पांडाल में सैकड़ों देवडोलियों की उपस्थिति में यज्ञ के यजमान व आयोजन समिति के पदाधिकारियों सहित सैकड़ों श्रोताओं द्वारा अमृतमयी कथा का रसपान कर रहे हैं।