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सात दिवसीय 108श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन।।

By sarutalsandesh.com Apr 29, 2024

108श्रीमद्भगवत कथा   में सुदामा चरित्र, परीक्षित मोक्ष कथा सुन कर भाव विभोर हुए श्रोता।।

सात दिवसीय 108श्रीमद् भागवत कथा का हुआ समापन

देव भूमि यदि  स्वस्थ्य रहेगी ,तो देश स्वस्थ्य रहेगा: डॉ पारश।।

चिरंजीव सेमवाल

उत्तरकाशी 29, अप्रैल। उत्तरकाशी के  रामलीला मैदान में आयोजित  अष्टादश  श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथा व्यास डॉ श्याम सुंदर पाराशर जी महाराज ने सुदामा चरित्र और परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन श्रोताओं भाव विभोर कर दिया। सुदामा जी जितेंद्रिय एवं भगवान कृष्ण के परम मित्र थे। भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते । गरीबी के बावजूद भी हमेशा भगवान के ध्यान में मग्न रहते। पत्नी सुशीला सुदामा जी से बार- बार आग्रह करती कि आपके मित्र तो द्वारकाधीश हैं उनसे जाकर मिलो शायद वह हमारी मदद कर दें। सुदामा पत्नी के कहने पर द्वारका पहुंचते हैं और जब द्वारपाल भगवान कृष्ण को बताते हैं कि सुदामा नाम का ब्राम्हण आया है। कृष्ण यह सुनकर नंगे पैर दौङकर आते हैं और अपने मित्र को गले से लगा लेते । उनकी दीन दशा देखकर कृष्ण के आंखों से अश्रुओं की धारा प्रवाहित होने लगती है। सिंघासन पर बैठाकर कृष्ण जी ने पानी प्रातः हाथ लगायें बिना अपने असुरू से सुदामा के चरण धोते हैं। सभी पटरानियां सुदामा जी से आशीर्वाद लेती हैं। सुदामा जी विदा लेकर अपने स्थान लौटते हैं तो भगवान कृष्ण की कृपा से अपने यहां महल बना पाते हैं लेकिन सुदामा जी अपनी भूषा की बनी कुटिया में रहकर भगवान का सुमिरन करते हैं। अगले प्रसंग में शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को सात दिन तक श्रीमद्भागवत कथा सुनाई जिससे उनके मन से मृत्यु का भय निकल गया। तक्षक नाग आता है और राजा परीक्षित को डस लेता है। राजा परीक्षित कथा श्रवण करने के कारण भगवान के परमधाम को पहुंचते है। इसी के साथ कथा का विराम हो गया। आयोजन समिति के द्वारा विशाल भण्डारे का आयोजन गया ।
कथा वक्ता डॉ पारशर जी ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है ये देश का भाल है इस लिए इसका स्वस्थ रहना जरूरी है  तभी सम्पूर्ण देश स्वस्थ्य रहेगा है। उन्होंने कहा कि 16 संस्कारों में से एक विवाह संस्कार में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव  मेहंदी जैसे पवित्र रंग में  शराब का प्रचलन चला रहे । इस प्रकार की कुर्तियां समाज में बंद होनी चाहिए।

इस अवसर पर अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महामंत्री रामगोपाल पैन्यूली, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, यजमान के रूप में डॉ. एस डी सकलानी, अरविन्द कुडि़याल, डॉ. प्रेम पोखरियाल, गोविंद सिंह राणा, विनोद कंडियाल, राजेन्द्र सेमवाल, महादेव गगाडी़, कुमारी दिव्या फगवाड़ा, इंजिनियर जगबीर सिंह राणा , सुदेश कुकरेती, प्रेम सिंह चौहान, रामकृष्ण नौटियाल, राजेन्द्र पंवार, विद्या दत्त नौटियाल, सम्पूर्णा नंद सेमवाल, प्रताप पोखरियाल, दिनेश पंवार, प्रकाश बिजल्वाण,  सहित समिति के पदाधिकारी जगमोहन सिंह चौहान, नत्थी सिंह रावत, प्रथम सिंह वर्तवाल, प्रमोद सिंह कंडियाल, शम्भू भट्ट, सुरेश सेमवाल, राघवेन्द्र उनियाल, अजय प्रकाश बडोला, भाजपा नेता विजय बहादुर रावत, पालिकाध्यक्ष जयेंद्री राणा, पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण, कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनीष राणा, भगत सिंह राणा, सहित दर्जनों देव डोलियां व हजारों कथा प्रेमी मौजूद रहे है।

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