विवादों सिलक्यारा टनल, श्रमिक बैठे अनशन पर देर सायं प्रशासन ने स्थगित करवाया धरना।
बीते साल टनल में फंसे श्रमिकों का रेस्क्यू अभियान, होटलों का भुगतान करना भूल गई कंपनी।।
लोकसभा की आचार संहिता के धरना-प्रदर्शन जैसे हालात बन सकते सिलक्यारा ।।
सुरेश रमोला
सिलक्यारा 08, मई । बहुचर्चित सिलक्यारा निमार्णाधीन टनल विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।
यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग को जोड़ने वाली निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल एक बार फिर से विवादों के घेरे में है। बुधवार को टनल के मुहाने पर श्रमिकों ने अपनी मांगों को लेकर अनशन शुरू कर दिया है जबकि कुछ श्रमिकों ने प्रोजेक्ट मैनेजर के कार्यालय में बोनस फंडिंग को लेकर हंगामा काटा है। देर सायं उपजिलाधिकारी डुंडा नवाज़िश खलीक ने राजस्व की टीम मौके पर भेजी और कुछ मामलों का निपटारा वार्ता से कर दिया गया फिलहाल धरने समाप्त करवा दिया गया है। वहीं धरने पर बैठे श्रमिकों ने बताया कि लोकसभा चुनाव के चलते आदर्श आचार संहिता के चलते फिलहाल धरने को स्थगित कर दिया है।
उधर बौखनाग मंदिर को लेकर ग्यूनोटी और वाण गांव के लोग पिछले लंबे समय से आक्रोशित हैं क्योंकि जब टनल में 41 मजदूर जिंदगी की जंग लड रहे थे तो बौख नागराजा ने अपनी कृपा दिखाकर उन मजदूरों को 17 दिन बाद बाहर का रास्ता दिखाया था। कुल मिलाकर सिलक्यारा टनल विवादों से घिरी हुई है और अब होटल व्यवसाय से जुड़े लोग भी कंपनी के खिलाफ आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि जब सिलक्यारा टनल में आपरेशन जिंदगी की जंग चल रही थी तो उस दौरान स्थानीय होटल व्यवसायियों ने शासन प्रशासन और मीडिया की मदद की थी और उसके लिए रहने व खाने की व्यवस्था की थी मगर आठ महीने बीत जाने के बाद बिल का भुगतान उन्हें नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि जिलाधिकारी उत्तरकाशी को दिये गये अल्टीमेटम में श्रमिक उपेन्द्र लाल, मनोज, संजय, प्रकाश, अनिल, रामकृष्ण ने हवाला देते हुए बताया कि वे टनल की कार्यदाई संस्था नवयुगा कंपनी में श्रमिक के तौर पर 2019 से कार्यरत थे और अब उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया जिससे वै बेरोजगार हो गये है। जिसके लिए वै भूख-हड़ताल पर बैठने को मजबूर हुये है और बुधवार से इन सभी मजदूरो ने सुंरग के मुहाने पर अनशन आन्दोलन शुरू कर दिया इसकी सूचना मिलते ही राजस्व और पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचे और शांति बनाए रखने के साथ आदर्श आचार संहिता का हवाला दिया गया जिसके चलते फिलहाल धरने को स्थगित किया गया है।
वहीं कंपनी के कुछ और श्रमिक भी बोनस फंडिंग को लेकर प्रोजेक्ट मैनेजर के कार्यालय के बाहर हंगामा करने लगे थे बाद में उन्हे भी एक माह का आश्वासन दिया गया है। इसके अलावा बौखनाग मंदिर निर्माण और होटल व्यवसायियों का पेंडिंग बिल भी कंपनी के लिए गले की फास बन सकती है।