जंगल की आग ने गांवों में मचाया कोहराम, पर्यावरण में भी धुवां ही धुआं।
सुरेश चंद रमोला
ब्रह्मखाल।
धरासू रेंज के अंतर्गत चीड़ के जंगलों में आग की लपटों ने ग्रामीणों को परेशान करके रखा है। जंगलों में लगी आग से जंगली पशु पक्षियां कीड़े मकोड़े तो प्रभावित हुये ही है साथ ही पर्यावरण भी धुंये से प्रदूषित हुआ है। हवा के साथ धुंवे से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है और आंखों में जलन होने लगी है। जंगल की आग से तपिस तो बढ़ी है मगर साथ ही पानी के श्रोत भी सूखने लगे हैं जिससे पेयजल का भी ब्रह्मखाल क्षेत्र में संकट बढ़ गया है। दर्जन भर से अधिक गांव में ग्रामीणों के खेतों में पशुओं के लिए पेड़ों पर लगाया गया चारा जलकर राख हो गया जिससे पशुओं के लिए चारे का भी संकट ग्रामीणों के सामने पैदा हो गया।
पटारा बीट के अंतर्गत बांधूं गांव के डांडा नामक तोक में लाखीराम सेमवाल, सुंदर लाल सेमवाल, राजाराम सेमवाल और मदन मोहन अवस्थी की गौशाला जंगल की आग से भष्म हो गई। गनीमत रही कि लोगों ने आग लगने से पहले ही अपने पशुओं को छानियों से हटा दिया था मगर छानियों के अंदर का सारा सामान जलकर राख हो गया। आग इतनी बेकाबू थी कि ग्रामीणो ने बुझाने का बहुत प्रयास किया मगर आग की लपटे काबू नहीं हो सकी। उधर बडेथ, और सिलक्यारा बीट में भी जंगल धू -धू कर जल रहे हैं। मथाली बनगांव व पत्थरखौल में तो पिछले कई दिनों से जंगल की आग नहीं बुझ पाई है। आग के ताडंव ने जंगली पशु पक्षियों और स्थानीय ग्रामीणों को परेशान किया हुआ है और इससे जीवन संकट में पड़ गया है। हालांकि वन विभाग और पुलिस प्रशासन वनाग्नि की घटनाओं की रोकथाम के भरसक प्रयास कर रहे हैं मगर वनों को आग के हवाले करने वाले उनकी पकड़ से बाहर है । आज दिनभर एक हैलीकॉप्टर दावानल से जूझते जंगलों के ऊपर चक्कर मारता रहा संभव है कि दावानल की घटनाओं का आंकलन हवाई तौर पर की जा रही होगा।