उपचुनाव में दोनों सीटें हार गई भाजपा, हार के ये चार हैं बड़े कारण।।
उत्तरकाशी । उत्तराखंड में उपचुनाव में बीजेपी को दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। मंगलौर सीट पर भाजपा कभी भी जीत नहीं पाई थी लेकिन बद्रीनाथ में भी कुछ कमाल नहीं कर पाई। पूरी ताकत झोंकने के बाद भी भाजपा कोई कमाल नहीं कर पाई। अब भाजपा हार के कारणों पर मंथन कर रही है। चार बड़े कारणों के कारण भाजपा के विजयरथ पर रोक लगी है।
उत्तराखंड में हुए उपचुनाव में भाजपा को बद्रीनाथ और मंगलौर दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। मंगलौर में बीजेपी ने हरियाणा से प्रत्याशी लाकर चुनाव लड़वाया। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी वहां हार गई। बात करें बद्रीनाथ सीट की तो यहां कांग्रेस के राजेंद्र भंडारी को अपने पक्ष में करने के बाद भी बीजेपी जीत नहीं पाई। राजेंद्र भंडारी को कांग्रेस प्रत्याशी लखपत सिंह बुटोला के हाथों हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा की हार के ये चार हैं बड़े कारण
बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर भाजपा की हार के चार बड़े कारण हैं। पहला कारण तो वही राजेंद्र भंडारी हैं जिन्हें भाजपा ने अपना प्रत्याशी बनाया। जिस तरीके से भाजपा ने उन्हें अपने पाले में किया वो नाटकीय तरीका भाजपा की हार का कारण बना है। जिस तरीके से कांग्रेस विधायक भाजपा में शामिल हुए वो जनता को पसंद नहीं आया।
भंडारी ने तो भाजपा का दामन थामा लेकिन समर्थक कांग्रेस में ही रह गए। इसके साथ ही भंडारी के भाजपा में आने से कई भाजपा कार्यकर्ता भी खुश नहीं थे। लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने भंडारी को ही प्रत्याशी बनाया। भाजपा में शामिल होने के पहले जिस तरीके से राजेंद्र भंडारी भाजपा के विरोध में भाषण दे रहे थे। और फिर उन्हीं कपड़ों में वो अगले दिन दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ले लेते हैं। ये बात जनता को पसंद नहीं आई।
बद्रीनाथ उपचुनाव
भाजपा की हार का कारण जिस तरीके से बद्रीनाथ चुनाव हुआ वो भी है। मंगलौर सीट पर तो बसपा विधायक के निधन के बाद उपचुनाव कराया जाना था। लेकिन बद्रीनाथ में ऐसी स्थितियां बनाई गई जिस कारण यहां उपचुनाव कराना पड़ा। जिस तरीके से उपचुनाव हुआ जनता को ये पसंद नहीं आया।
मंगलौर का किला कभी नहीं भेद पाई भाजपा
बात की जाए मंगलौर सीट पर भाजपा की हार की तो भाजपा मंगलौर का किला कभी भेद ही नहीं पाई। इस बार की भाजपा की मंगलौर में हार की की बात करें तो यहां भाजपा पहला कोई उत्तराखंड का प्रत्याशी नहीं उतार पाई और बाहर से लाकर करतार सिंह भड़ाना को प्रत्याशी बना दिया गया।
बाहर से प्रत्याशी लाना पड़ा भाजपा को भारी
करतार सिंह भड़ाना को इसलिए प्रत्याशी बनाया गया था क्योंकि आज तक उन्होंने जहां से भी चुनाव लड़ा वो जीते। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। लिहाजा भड़ाना को प्रत्याशी बनाना मंगलौर की जनता को पसंद नहीं आया और बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा।
- इसके साथ ही बीजेपी मंगलौर में जातीय समीकरण भेदने में भी नाकाम रही। ये कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस को मंगलौर में जातीय समीकरणों का ही फायदा मिला है। बसपा के प्रत्याशी के मैदान में आने के कारण जरूर कांग्रेस के वोट बटे लेकिन बाजी काजी निजामुद्दीन ही मार ले गए हैं ।
लगातार उत्तराखंड के चुनाव में हार का मुंह देख रही कांग्रेस के लिए विधानसभा उप चुनाव की दो सीटों पर ये जीत किसी संजीवनी से कम नहीं है।