सरकार और शासन की मंशा के रूप संस्कृत शिक्षा के लिए कुछ नया करने का होगा प्रयास : आनंद भारद्वाज!!
संस्कृत शिक्षा विनयमावली 2014 – 2023 पर हुआ मंथन !!
चिरंजीव सेमवाल
हरिद्वार/ देहरादून। सरकार और शासन की मंशा के अनुरूप संस्कृत शिक्षा में कुछ नया और सर्वजन हिताय भावना से लीक से हटकर कार्य किए जाएंगे, जिससे लगे कि उत्तराखंड में संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।
उपरोक्त विचार संस्कृत शिक्षा के निदेशक डॉ आनंद भारद्वाज ने व्यक्त किए हैं, सोमवार को हरिद्वार संस्कृत अकादमी भवन में पूरे प्रदेश के प्रधानाचार्यों ,प्रबंधकों एवं अधिकारियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने संस्कृत को उत्तराखंड राज्य की द्वितीय राजभाषा का दर्जा देकर देव वाणी का पूरे विश्व में नाम ऊंचा किया है, अब उसको बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सब के ऊपर है।
संस्कृत शिक्षा विनयमावली 2014 एवं 2023 पर विस्तृत चर्चा करते हुए डॉक्टर भारद्वाज ने कहा कि वर्षों से कार्य कर रहे शिक्षकों के सम्मान की रक्षा करते हुए प्रबंधन समितियों का गठन कर प्रशासनिक योजना बनाकर नई नियुक्तियों का रास्ता बनाने की जिम्मेदारी प्रबंधकों पर है, इसके लिए विभाग उनका पूर्ण रूप से सहयोग करेगा।
बैठक को संबोधित करते हुए प्रबंधक संगठन के प्रदेश सचिव चंद्र मोहन सिंह पयाल द्वारा उपस्थित प्रधानाचार्यों एवं प्रबंधकों को विभिन्न नियमों से अवगत कराते हुए प्रशासनिक योजना कैसे बनाई जाएगी इस पर प्रकाश डाला। उपनिदेशक एवं अन्य सहायक निदेशकों ने विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण बनाने एवं भौतिक संसाधनों की उपलब्धता पर टिप्स दिए। सुबह 10:00 से शाम 5:00 बजे तक चली मैराथन बैठक का सफल संचालन वरिष्ठ सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने किया।
बैठक में सहायक निदेशक पद्माकर मिश्र, डॉ बाजश्रवा आर्य, मन्साराम, पूर्णानंद, यशोदा प्रसाद से मल्टी मनोज कुमार, प्रेम प्रकाश, शासकीय शिक्षकों के अध्यक्ष रामभूषण, प्रबंधकीय शिक्षण समिति के प्रदेश अध्यक्ष जनार्दन कैरवान, श्रीमती मीनाक्षी चौहान, दीपशिखा ,विद्या नेगी, ओम प्रकाश पोरवाल, विजय जुगलान, रामप्रसाद थपलियालश्री विश्व नाथ संस्कृत उत्तर मध्यमा के प्रधानाचार्य जगदीश उनियाल साहित्य पूरे प्रदेश के प्रबंधक एवं प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।