108 श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन श्रीकृष्ण रासलीला का प्रसंग सुनकर भाववीर हुए श्रोता।।
रामलीला मैदान में आयोजित कथा श्रवण करने उमड़ा जनसैलाब।।
चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी 28, अप्रैल। 108श्रीमद्भागवत कथा के
छठे दिन श्रद्धालुओं की जनसैलाब उमड़ पड़ा।
कथा प्रारंभ करते हुए कथा वक्ताडॉ. श्याम सुंदर पाराशर महाराज जी
ने भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामथ्र्य के साथ आक्रमण किया लेकिन वह भगवान को पराजित नहीं कर पाया उसे ही परास्त होना पडा। रासलीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है।
रामलीला मैदान उत्तरकाशी में आयोजित सात दिवसीय अष्टोत्तरशत श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन
कथा के मुख्य व्यास ने
गोपी गीत पर बोलते हुए कहा जब-जब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाते हैं। जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है।
इस दौरान कथा वक्ता डॉ श्याम सुंदर पाराशर महाराज जी ने गोपी गीत, रास लीला, मथुरा गमन, कंस वध, रुक्मिणी विवाह की कथा सुनायी। श्रद्धालुओं ने आनंद से कथा सुनी। प्रत्येक पाठ का कथा सुनाते हुए गोपी गीत भगवान कृष्ण को साक्षात् पाने का मन्त्र है भगवान कृष्ण को पाने के जितने भी तरीके हैं या होंगे उनमे से एक गोपी गीत है।रास लीला एक रात होती है जब वृन्दावन की गोपियाँ कृष्ण की बांसुरी की आवाज़ सुनकर अपने घरों और परिवारों से रात भर कृष्ण के साथ नृत्य करने के लिए जंगल में छिप जाती हैं।भागवत पुराण में कहा गया है कि जो कोई भी ईमानदारी से रास लीला को सुनता है या उसका वर्णन करता है वह कृष्ण की शुद्ध प्रेमपूर्ण भक्ति को प्राप्त करता है।कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ कर सुनाया ।
इस अवसर पर अष्टादश महापुराण समिति के अध्यक्ष हरि सिंह राणा, महामंत्री रामगोपाल पैन्यूली, व्यवस्थापक घनानंद नौटियाल, संयोजक प्रेम सिंह पंवार, कोषाध्यक्ष जीतवर सिंह नेगी, यजमान के रूप में डॉ. एस डी सकलानी, अरविन्द कुडि़याल, डॉ. प्रेम पोखरियाल, गोविंद सिंह राणा, विनोद कंडियाल, राजेन्द्र सेमवाल, महादेव गगाडी़, कुमारी दिव्या फगवाड़ा, इंजिनियर जगबीर सिंह राणा , सुदेश कुकरेती, प्रेम सिंह चौहान, रामकृष्ण नौटियाल, राजेन्द्र पंवार, विद्या दत्त नौटियाल, सम्पूर्णा नंद सेमवाल, प्रताप पोखरियाल, दिनेश पंवार, प्रकाश बिजल्वाण, सहित समिति के पदाधिकारी जगमोहन सिंह चौहान, नत्थी सिंह रावत, प्रथम सिंह वर्तवाल, प्रमोद सिंह कंडियाल, शम्भू भट्ट, सुरेश सेमवाल, राघवेन्द्र उनियाल, अजय प्रकाश बडोला, भाजपा नेता विजय बहादुर रावत आदि उपस्थित थे नित्य डेव डोलियों के दर्शन प्राप्त करने के साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं कथा का रसपान कर रहे हैं।
कथा में जिला जज गुरुबख्श सिंह,
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी संजीव कुमार, वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र सेमवाल , सुभाष सोनी, पूर्व पालिकाध्यक्ष जयेंद्री राणा आदि शामिल हुये है।
इस दौरान शक्ति सेमवाल,चंद्र शेखर तिवारी, राजेन्द्र प्रसाद नौटियाल, रामचंद्र व्यास, शक्ति प्रसाद सेमवाल,लक्ष्मी प्रसाद चमोली, कृष्णानंद खंडूड़ी, ज्योति प्रसाद उनियाल, सुनील दत्त, माधव नौटियाल, आचार्य लोकेंद्र जी, ब्रह्मानंद उनियाल, सुरेश चंद्र भट्ट, सुरेश शास्त्री , डाक्टर द्वारीका नौटियाल, शिव प्रसाद, सुरेश सेमवाल आदि 108 भागवताचार्यों द्वारा प्रतिदिन भागवत का मूल पाठ किया जा रहा है।
ये डोलियां है मौजूद गंगा जी की छड़ी,कुपडा गांव से शेषनाग, बाराहाट क्षेत्र के आराध्य श्री कंडार देवता, हरि महाराज , नाराज़ देवता मस्ताड़ी , अष्टभुजा धारी, माता सहित दर्जनों देव डोलियों का कथा में महाकुंभ लगा है।