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सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में उमड़ी भक्‍तों की भीड़।।

By sarutalsandesh.com Jul 22, 2024

सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में उमड़ी भक्‍तों की भीड़।।

हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच श्रद्धालुओं ने शिवलिंग में जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की।।

चिरंजीव सेमवाल
उत्तरकाशी। जिले भर में सावन माह के पहले सोमवार को शिवालयों में भक्तों की खासी भीड़ उमड़ी। हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच श्रद्धालुओं ने बाबा काशीनाथ मंदिर में शिवलिंग में जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। श्रद्धालुओं ने शिवालयों में गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल व पुष्प से भगवान शिव की पूजा की। उत्तरकाशी में काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक को लेकर सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।

श्रावण के पहले सोमवार को शिव नगरी उत्तरकाशी के शिवालयों में शिव भक्तों श्रद्धालुओं और कावड़ यात्रियों की भारी भीड़ उमड़ी। शिवालयों में इसके निमित्त पहले से सारी तैयारी पूरी कर ली गई थी। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण सपरिवार सहित आलाधिकारियों ने सावन के पहले सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक किया है।

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अनादि काल से इस मंदिर में विराजमान हैं विश्वनाथ

उत्तरकाशी।  उत्तरकाशी जिले में  काशी विश्‍वनाथ मंदिर हैं। मान्‍यता है कि भगवान विश्वनाथ अनादि काल से इस मंदिर में विराजमान हैं। कहते हैं कि इस मंदिर की स्थापना भगवान परशुराम ने थी। यहां शिवलिंग दक्षिण की ओर झुका हुआ है।

भागीरथी के किनारे उत्तरकाशी (बाड़ाहाट) में विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन मंदिर है। इसी कारण यहां का नाम उत्तर की काशी पड़ा है। स्कन्द पुराण में उल्लेख है कि ‘यदा पापस्य बाहुल्यं यवनाक्रान्तभुतलम् ।
भविष्यति तदा विप्रा निवासं हिमवद्गिरो ।।
काश्या सह करिष्यामि सर्वतीर्थ: समन्वित:।
अनदिसिद्धं मे स्थानं वत्तते सर्वदेय हि।।’

अर्थात ‘जब पाप का बाहुल्य होगा तथा पृथ्वी यवनों से अक्रान्त हो जायेगी, तब मेरा निवास हिमालय पर्वत में होगा। अनादिसिद्ध हिमालय सर्वदा ही मेरा स्थान रहा है। मैं उसको इस समय यानी कलयुग में काशी के सहित समस्त तीर्थों को उत्तर की काशी में युक्त कर दूंगा।’

स्कन्दपुराण के केदारखंड में भगवान आशुतोष ने उत्तरकाशी को कलियुग की काशी के नाम से संबोधित किया है। साथ ही उन्होंने व्यक्त किया है कि वे अपने परिवार, समस्त तीर्थ स्थानों एवं काशी सहित कलियुग में उस स्थान पर वास करेंगे। जहां पर एक अलौकिक स्वयंभू लिंग, जो कि द्वादश जयोतिर्लिगों में से एक है, स्थित है। अर्थात, उत्तरकाशी में वास करेंगे।

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