बागी बिगाड़ सकते भाजपा -कांग्रेस की समीकरण, रोचक हुआ मुकाबला।।
पुरोला पालिकाध्यक्ष के लिए पांच उम्मीदवारों ने ठोकी ताल।।
गजेंद्र सिंह चौहान
पुरोला/ उत्तरकाशी : नगर पालिका पुरोला में अध्यक्ष पद पर भाजपा – कांग्रेस के समीकरण बागी बिगाड़ सकते हैं। पालिकाध्यक्ष के 5 प्रत्याशी चुनाव मैदान में जिससे चुनाव रोचक हो गया है । भाजपा और कांग्रेस दोनों राष्ट्रीय दलों के कार्यकर्ताओं ने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार बनकर अपनी पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दी है।
पुरोला पालिका अध्यक्ष के लिए भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पीएल हिमानी चुनाव लड़ रहे हैं, कांग्रेस पार्टी ने पुराने कार्यकर्ता बिहारी लाल शाह को चुनाव मैदान में उतारा है। भाजपा का टिकट न मिलने से नाराज अमीचंद शाह निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है । वही कांग्रेस से टिकट मांग रहे हरिमोहन जूवाठा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है । वहीं भाजपा -कांग्रेस व आप के पूर्व नेता प्रकाश कुमार (डबराल) निर्दलीय चुनाव लड़ रहे है।
बात करे भाजपा प्रत्याशी पीएल हिमानी की तो वे पूर्व में कांग्रेस के टिकट पर नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीते है। पीएल हिमानी का राजनीतिक सफर सन 1987-88 से शुरू होता है जब उन्हें तत्कालीन ग्राम सभा पुरोला का निर्विरोध उप प्रधान बनाया गया । उसके बाद हिमानी ने राजनीति में एक नया मुकाम हासिल करते हुए लोकदल व जनता दल के माध्यम से राजनीति के अगले पड़ाव की शुरुआत की व स्वर्गीय बीएल जूवाठा के केबिनेट मंत्री बनने पर उनके सानिध्य में अपनी राजनीतिक पैठ को मजबूती दी । 1996 में हुए पंचायत चुनाव में उन्हें ग्राम पंचायत कुमोला की जनता ने बीडीसी का चुनाव जिताया व उसके बाद सामान्य सीट पर प्रमुख बने । पुनः अगले कार्यकाल में हिमानी पुनः ग्राम पंचायत पुरोला से सामान्य सीट पर बीडीसी सदस्य बने व पुनः ब्लॉक प्रमुख का चुनाव जीता ।
वर्ष 2012 में पुरोला नगर पंचायत बनने के बाद अगले वर्ष हुए चुनाव में उन्हें कांग्रेस के टिकट पर पुरोला नगर पंचायत का प्रथम अध्यक्ष निर्वाचित होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वर्ष 2022 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की मांग की किंतु कांग्रेस पार्टी ने पूर्व विधायक मालचंद को पार्टी का प्रत्याशी बनाया। मालचंद को टिकट मिलने से नाराज हिमानी ने पुरोला में मुख्यमंत्री धामी की जनसभा में बीजेपी का दामन थाम लिया व तभी से वे बीजेपी में बने हुए हैं।
अब बात करे कांग्रेस प्रत्याशी बिहारी लाल शाह की तो वे कांग्रेस पार्टी में ब्लॉक स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक पार्टी के विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर चुके है। उन्होंने पुरोला में कार्यकर्ताओं की कमी से जूझती कांग्रेस को मजबूत बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इससे पूर्व उनकी धर्मपत्नी नगर पंचायत पुरोला की वार्ड सदस्य रही है। खैर बिहारी लाल शाह इससे पूर्व किसी भी पद पर निर्वाचित नहीं हुए है व उनके लिए ये पहला चुनाव है।
वहीं बीजेपी से बागी हुए अमीचंद शाह की बात करें तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी से राजनीति की शुरुआत की । एक समय वे कांग्रेस पार्टी के मजबूत स्तम्भ थे व राम लहर के बाद उन्होंने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। विगत 30 वर्षों से वे बीजेपी के मजबूत स्तम्भ रहे है व पार्टी में जिलाध्यक्ष सहित विभिन्न दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं । वर्ष 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी टिकट के प्रबल दावेदार रहे किंतु भाजपा ने मालचंद को पार्टी का प्रत्याशी बनाकर चुनाव मैदान में उतारा व उन्हें जीत भी मिली । वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में उन्होंने पुनः बीजेपी से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई किंतु पार्टी ने नागर को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया व वे बुरी तरह से चुनाव हार गए। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में अमीचंद शाह ने एक बार पुनः पार्टी से टिकट की मांग की किन्तु इस बार पुनः पार्टी ने मालचंद को टिकट देकर प्रत्याशी बनाया व वे चुनाव जीते भी । अमीचंद ने पार्टी से पुनः 2017 में पार्टी का टिकट मांगा किंतु इस बार भी पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया व वर्ष 2022 के चुनावों में भी पार्टी ने उन्हें टिकट न देकर दुर्गेश लाल को टिकट दिया।
खैर अमीचंद शाह ने पार्टी से हर विधानसभा चुनावों में टिकट की मांग की पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया । इससे पूर्व वर्ष 2013 में पुरोला नगर पंचायत के चुनाव में पार्टी ने उन्हें अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया किन्तु यहां उन्हें पराजय मिली व पीएल हिमानी चुनाव जीत गए। पार्टी में अपनी हो रही लगातार अनदेखी से आहत अमीचंद ने इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया व पार्टी के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यो के आधार पर वोट मांग रहे हैं।
अब बात करे हरिमोहन जूवाठा की तो उन्होंने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन किया किन्तु कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के समझाने पर उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों से पूर्व उन्होंने आम आदमी पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर जोर शोर से अपना प्रचार शुरू कर दिया किन्तु पार्टी की नीतियों व कार्य पढ़ती से तंग आकर उन्होंने आप छोड़ दी व राजनीतिक गतिविधियों से दूरी बना ली । नगर निकाय चुनाव अधिसूचना जारी होने से ठीक दो दिन पहले अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ने का फैसला किया व कांग्रेस पार्टी से टिकट की मांग की । कांग्रेस से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया व वे जनता अन्य प्रत्याशियों के पिछले कार्यकाल के दृष्टिगत सोच विचार कर उन्हें वोट देने की अपील कर रहे है।
बात प्रकाश डबराल की करे तो उन्होंने भाजपा, कांग्रेस, आप , लोकदल व बसपा सहित कई अन्य दलों का राजनीतिक सफर तय किया है। वर्ष 2013 के नगर पंचायत चुनाव में उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ा किन्तु वे दहाई के अंक से अधिक मत नहीं मिले व बुरी तरह मिली हार के बावजूद उनका हौसला बरकरार रहा। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2019 में ग्राम पंचायत कुरड़ा मेंसा के प्रधान पद का चुनाव लड़ा किंतु यहां भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार से हिम्मत न हारने वाले प्रकाश ने वर्ष 2022 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा किन्तु हजार वोटो के आंकड़े से बहुत दूर रह गए।
हार पर मिली हार के बावजूद प्रकाश ने कभी भी हार नहीं मानी व इस बार पुनः नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं। प्रकाश अपनी उपलब्धियों जिनमे से दो बार बीएसएनएल टॉवर पर चढ़ना, दर्जन भर आंदोलन व भूख हड़ताल को लेकर जनता से वोट मांग रहे हैं।
अब देखना होगा कि इन पांच प्रत्याशीयों में किसे जनता का आशीर्वाद मिलता है।