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उत्तराखंड में आयुर्वेद को बढ़ावा देने को लेकर देश भर के 40 से अधिक विषय विशेषज्ञों से मांगे सुझाव।।

By sarutalsandesh.com Mar 2, 2024

चिरंजीव सेमवाल

उत्तराखण्ड राज्य को वैश्विक पटल पर श्रेष्ठ आयुष गन्तव्य के रूप में करना स्थापित: डॉ० पंकज पाण्डेय

विशेषज्ञों ने जड़ी बूटियों की ब्रांडिंग व
योग को पर्यटन से जोडे पर दिया जोर ।।

देहरादून। उत्तराखण्ड शासन ने प्रदेश में आयुर्वेद को बढ़ावा देने को लेकर देश भर के प्रतिष्ठित विषय विशेषज्ञों से देहरादून स्थित सचिवालय में सुझाव मांगे।
बैठक में देश भर से 40 से अधिक प्रतिष्ठित आयुर्वेदिक शिक्षाविदों, विशेषज्ञों तथा चिकित्सकों ने प्रतिभाग किया। बैठक की अध्यक्षता आयुष सचिव डॉ० पंकज कुमार पाण्डेय ने बैठक के प्रारम्भ में सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया कि प्रदेश सरकार का उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य कै वैश्विक पटल पर श्रेष्ठ आयुष गन्तव्य के रूप में स्थापित करना है।
बैठक में उपस्थित विशेषज्ञों द्वारा मुख्य रूप से प्रदेश में क्लस्टर आधारित आयुष जडी बूटियों की खेती को बढावा दिये जाने एवं प्रदेश में पूर्व से स्थापित राजकीय आयुर्वेदिक फार्मेसियों को उच्चीकृत करने के सुझाव दिये। वही आयुर्वेद योग को पर्यटन से जोडे जाने ओर राज्य में आयुर्वेद सम्बन्धी रिसर्च संस्थान तथा रिसर्च लैब की स्थापना किये जाने तथा आयुष शिक्षा गतिविधियों को स्किल इंडिया के साथ जोडे जाने, निजी आयुर्वेदिक शिक्षण संस्थानों में उच्च गुणवत्ता युक्त शिक्षण / प्रशिक्षण प्रदान किये जाने तथा उत्तराखण्ड में आयुर्वेद के पारम्परिक ज्ञान को संकलित व संरक्षित किये जाने सम्बन्धी सुझाव दिये गये।
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विशेषज्ञों ने जड़ी बूटियों की ब्रांडिंग व
योग को पर्यटन से जोडे पर दिया जोर ।।

बैठक में प्रो० अभिमन्यु कुमार ने विश्वविद्यालय के माध्यम से रिसर्व प्रोटोकॉल तैयार कराते हुए चिकित्सालयों को उसके अनुरूप रिसर्च व डॉटा संकलित किये जाने एवं जड़ी बूटियों की ब्रान्डिंग किये जाने का सुझाव दिया गया साथ ही उनके द्वारा प्रदेश में दैव व्यपाश्रय चिकित्सा तथा रसायन चिकित्सा के केन्द्र खोले जाने का भी सुझाव दिया गया।
प्रो० उमेश शुक्ला द्वारा उत्तराखण्ड को पारम्परिक ज्ञान का भण्डार बताया तथा पारम्परिक वैद्यों के पास उपलब्ध ज्ञान को संकलित किये जाने का सुझाव दिया गया।

प्रो० बी० आर रामकृष्ण द्वारा उत्तराखण्ड में विश्व का सर्वश्रेष्ठ योग आयुर्वेद आधारित अन्तरर्राष्ट्रीय स्तर का वैलनेस केन्द्र खोले जाने का सुझाव दिया गया, व अवगत कराया गया कि उनका संस्थान भी प्रदेश में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का केन्द्र खोले जाने का इच्छुक है।

डॉ० जे०एन० नौटियाल द्वारा उत्तराखण्ड में पर्यटन विभाग के सहयोग से अधिक से अधिक संख्या में वैलनेस केन्द्र खोले जाने तथा आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत कैशलेस आयुर्वेद चिकित्सा प्रदान किये जाने का अनुरोध किया गया।

प्रो० पूजा भारद्वाज द्वारा अवगत कराया गया कि पूर्व में भी स्कूलों हेतु आयुर्वेद पाठ्यक्रम तैयार किया गया था, जिसे वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करते हुए लागू किये जाने की आवश्यकता है। साथ ही उनके द्वारा आयुर्वेद आधारित गर्भिणी परिचर्या को प्रसारित किये जाने का सुझाव दिया गया।

डॉ० महेन्द राणा द्वारा क्लीनिकल एस्टिबलेसमेंट एक्ट के अन्तर्गत प्राईवेट आयुष क्लीनिकों को मानकों में छूट दिये जाने तथा स्वर्णप्रासन का व्यापक प्रचार प्रसार किये जाने का सुझाव दिया गया।

डॉ० कॉम्बोज द्वारा आयुष चिकित्सालयों हेतु बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन मानकों में छूट दिये जाने का अनुरोध किया गया।
चार घण्टे चली इस मैराथन बैठक के अन्त में सचिव, आयुष एवं आयुष शिक्षा द्वारा समस्त
सुझावों को संकलित करते हुए प्रदेश में आयुर्वेद को बढ़ावा दिये जाने हेतु लागू किये जाने का
आश्वासन दिया गया व समस्त प्रतिभागियों से भविष्य में भी प्रदेश हित में इसी तरह के सुझाव दिये जाने का अनुरोध किया गया।
बैठक में आयुष विभाग की ओर से डॉ० विजय कुमार जोगदण्डे, अपर सचिव, आयुष, गजेन्द्र सिंह कफलिया, उपसचिव आयुष, डॉ० मिथिलेश कुमार, औषधि नियंत्रक, आयुर्वेद एवं संजीव पाण्डे, उपकुलसचिव, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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देश भर से इन आयुर्वेदिक विशेषज्ञों ने दिये सुझाव ।।

देहरादून सचिवालय में बैठक में प्रोफेसर अभिमन्यु कुमार, पूर्व वाईस चांसलर, राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो० पी०के० प्रजापति, कुलपति राजस्थान आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो० अरूण कुमार त्रिपाठी, कुलपति, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय, प्रो० संजीव शर्मा, कुलपति, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर, प्रो० महेश व्यास, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, नई दिल्ली, प्रो० आर०एन० आचार्य, महानिदेशक, सी०सी०आर०ए०एस, प्रो० राकेश शर्मा, प्रो० बी०आर० रामाकृष्णन, प्रो० संजीव सूद, प्रो० यू०एस० निगम, डॉ० संजीव ओझा, डॉ० जे०एन० नौटियाल, डॉ० पूजा भारद्वाज, डॉ० प्रदीप भारद्वाज, प्रो० विनोद उपाध्याय, प्रो० जी०एस० तोमर, प्रो० एस०के० तिवारी, डॉ० वाई०एस० मलिक, प्रो० एच०एम० चन्दोला, प्रो० गिरीराज गर्ग, प्रो० अजय गुप्ता, प्रो० डी०सी० सिंह, प्रो० आर०बी० सती, प्रो० पंकज शर्मा, डॉ० अश्विनी कॉम्बोज, डॉ० महेन्द्र राणा आदि से अपने बहुमूल्य सुझाव दिये।

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