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पोरा गांव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में उमड़ा आस्था का सैलाब

By sarutalsandesh.com Nov 28, 2024

पोरा गांव में ध्याणी मिलन समारोह  संपन्न, इष्ट देवता को चढ़ाया सोने का छत्त ।।

चिरंजीव सेमवाल

उत्तरकाशी : पुरोला ब्लॉक के पोरा गांव में  नव निर्मित  कपिल मुनि मंदिर  की तीन दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। तीन दिनों से चल रहे  नव निर्मित कपिल मुनि महाराज मंदिर की प्रतिष्ठा अनुष्ठान में दर्जनों देव डोलियों का महाकुंभ लगा है । इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के  साथ धार्मिक अनुष्ठान चल रहा  है।
बता दें कि पोरा गांव में बीते चार सालों से कपिल मुनि महाराज मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था‌ ‌ मंदिर निर्माण पूरा होने पर ग्रामीणों ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए  बुधवार को धार्मिक अनुष्ठान का शुरू  किया है। इस अवसर पर सौकडों भक्तों ने यज्ञ मंडप में आहुति देने पहुंचे हैं।
  मंदिर के प्रणा प्रतिष्ठा में शिव प्रसाद शास्त्री, सुरेश उनियाल शास्त्री,  घनश्याम बिजल्वाण, देवाकर जोशी , अनिल शास्त्री आदि आचार्य द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार साथ अनुष्ठान कर रहे हैं। शुक्रवार को मंदिर प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद कपिल मुनि महाराज अपने नव निर्मित मंदिर में विराजमान हो जायेंगे।
इधर आयोजन समिति के अध्यक्ष कुलदीप बिजल्वाण, सचिव आनन्द बिजल्वाण,ने बताया कि अनुष्ठान में  कपिल मुनि महाराज , खण्डासूरी महाराज, मुंडेश्वरी काली माता, राजा रघुनाथ गैरबनाल, ओडारू जखंडी, कुमौला पुजेली, समेश्वर महादेव फातेपर्वत, भद्रकाली पौंटी, जमदग्नि ऋषि थान गांव, खलाड़ी पुजयेल से  शिकारूनाग,
सुरेश्वर देवता राना गीठ, आदि देव डोलियों के सान्निध्य में धार्मिक अनुष्ठान हो रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2021 में शुरू हुआ था जो की करोड़ों की लागत से तौयार हो गया।
मंदिर के निर्माण समिति के अध्यक्ष त्रिलोक, सचिव नवीन बिजल्वाण है। वहीं मंदिर के मुख्य  कारपेंटर  सुरेंद्र शाह , विपिन शाह है। वहीं धार्मिक अनुष्ठान में
जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण, सुदामा बिजल्वाण, संपूर्णा नन्द बिजल्वाण, पन्ना लाल बिजल्वाण, जय प्रकाश बडोनी,
राधेश्याम बिजल्वाण,  चंद्र भूषण बिजल्वाण,
आदि मौजूद है। इस मौके पर डॉ कपिल देव रावत ने नव निर्मित मंदिर में शामिल होकर देव डोलियों का आशीर्वाद लिया है।
गुरुवार को पोरा गांव में ध्याणि मिलन समारोह का आयोजन किया गया जिसमें दूर -दूर से सभी ध्याणि शामिल हुई।

ध्याणि मिलन उत्तराखंड की संस्कृति, रिति-रिवाज,  मैते की खुद मिटाणू, हमारी पुरातन संस्कृति और परंपराओं की एक शानदार झलक है ।

इस दौरान सभी ध्याणि ने  मिलन अपने इष्ट देवता को
सोने का छत्त ,चांदी डांगरी, मूर्ति, चांदी का  भेंट किया है।
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पुरातन  संस्कृति को सहेज रहे  रवांई घाटी के मंदिर

अपनी देव संस्कृति के लिए विश्व विख्यात रवांई घाटी के मंदिरों में लकड़ी पर की गई नक्काशी एक तरह से दुर्लभ ही है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में बताया जाता है कि ये मध्य काल में बने हैं। उस समय काष्ठकुणी शैली में बने मंदिर आज भी कला का बेजोड़ नमूना पेश करते हैं। ये मंदिर काष्ठ यानी लकड़ी के बने हैं, जिन पर आकर्षक कलाकृतियां उकेरी गई हैं। इनमें मुख्य तौर पर ते की लकड़ी का इस्तेमाल किया।
इनमें मुख्य तौर पर देवदार की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। मंदिरों के अलावा कुछ दूसरी इमारतों में भी ऐसी कलाकृतियां बनाई गई हैं। काष्ठकुणी शैली मंदिर व इमारत की सुंदरता ही नहीं दर्शाती, इसके साथ धर्म और इतिहास भी जुड़ा हुआ है।
रवांई घाटी के विभिन्न मंदिर में इस तरह की नक्काशी की गई है। वहीं, गंगटाड़ी में राजा रघुनाथ मंदिर, कुपडा गांव में नाग देवता,  थान गांव में जमदग्नि ऋषि मंदिर, पोरा गांव में नव निर्मित कपिल मुनि महाराज मंदिर छवि सहित शानदार नक्काशी की गई है। इन सभी मंदिरों के स्तंभों, खिड़कियों, दरवाजों, दीवारों, चौखट, बरामदों व छतों पर भी देवी-देवताओं, पशु-पक्षियों और विभिन्न प्रकार के फूलों की कलाकृतियां बनाई गई हैं। इन मंदिरों में तल से लेकर शिख सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है।

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